Birthday Special: कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक ..अशोक गहलोत तीन बार संभाल चुके है राजस्थान के सीएम की कुर्सी

'राजस्थान के गांधी' और 'राजनीति के चाणक्य' नाम से जाने जाते है अशोक गहलोत

नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक और वर्तमान में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज अपना 73 वां जन्मदिन मनाने जा रहे है। साल 1998 से लेकर 2003, 2008 से लेकर 2013 और 2018 से 15 दिसंबर 2023 तक तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने गहलोत को ‘राजस्थान के गांधी’ और ‘राजनीति के चाणक्य’ का नाम दिया जाता है।

जीवन परिचय
अशोक गहलोत का जन्म राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले में 3 मई 1951 को एक जादूगर परिवार में हुआ। इनके पिता स्व. लक्ष्मण सिंह गहलोत जादूगर थे। अशोक गहलोत की मां का नाम सेवा देवी है। गहलोत के भाई का नाम अग्रसेन गहलोत, कंवरसेन और बहन का नाम विमला देवी है।

व्यक्तिगत जीवन
अशोक गहलोत की शादी 27 नवम्बर, 1977 को सुनीता गहलोत के साथ हुई। इनके दो बच्चे है एक बेटा वैभव गहलोत और एक बेटी सोनिया गहलोत।

शिक्षा
अशोक गहलोत ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से विज्ञान और कानून में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद अर्थशास्त्र विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।

राजनीति सफर
अशोक गहलोत ने साल 1977 में सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र के लिए राजस्थान विधान सभा के लिए अपना पहला चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी के माधव सिंह से 4 हज़ार 426 वोटों के अंतर से हार गए। गहलोत को अपना पहला इलेक्शन लड़ने के लिए अपनी मोटरसाइकिल बेचनी पड़ी थी।
साल 1980 में उन्होंने जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और 52 हज़ार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और साल 1984 में उन्हें सेंट्रल मिनिस्टर के रूप में नियुक्त किया गया। साल 1998 में कांग्रेस पार्टी ने 200 में से 153 सीटें जीतकर जबरदस्त जीत दर्ज की और पहली बार अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। साल 2008 में राजस्थान विधान सभा चुनाव में कांग्रेस 4 सीटों से बहुमत से कम थी लेकिन गहलोत ने अपनी राजनीति बुद्धि का इस्तेमाल करके एक बार फिर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
साल 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में आई तो फिर वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। लेकिन राजनीतिक संकट के कारण 15 दिसंबर 2023 को गहलोत को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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