Birth Anniversary: तर्कसंगत और प्रेरणादायी प्रवचनों के ज्ञाता थे स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती
उपनिषद, गीता और आदि शंकराचार्य के 35 से अधिक ग्रंथों पर स्वामी चिन्मयानंद ने लिखीं व्याख्यायें
नई दिल्ली। भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक, चिन्मय मिशन के संस्थापक, आध्यात्मिक चिंतक एवं वेदांत दर्शन के विश्व विख्यात विद्वान स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती की आज 107वीं जयंती है। भारत में धर्म से संबंधित अज्ञानताओं को दूर करने के लिए चिन्मयनंद ने ‘गीता ज्ञान-यज्ञ’ प्रारम्भ किया था 1953 में ‘चिन्मय मिशन’ की स्थापना की। स्वामी चिन्मयानंद के प्रवचन बड़े ही तर्कसंगत और प्रेरणादायी होते थे। उनको सुनने के लिए काफ़ी भीड़ एकत्र हो जाती थी। उपनिषद, गीता और आदि शंकराचार्य के 35 से अधिक ग्रंथों पर इन्होंने व्याख्यायें लिखीं। ‘गीता’ पर लिखा गया उनका भाष्य सर्वोत्तम माना जाता है।
जीवन परिचय
स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती का जन्म 8 मई, 1916 को एर्नाकुलम, केरल में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘बालकृष्ण मेनन’ था। पिता न्याय विभाग में एक न्यायाधीश थे।
शिक्षा
बालकृष्ण की प्रारम्भिक शिक्षा 5 वर्ष की आयु में ‘श्रीराम वर्मा ब्यास स्कूल’ में हुई। उनकी मुख्य भाषा अंग्रेज़ी थी। आगे की शिक्षा के लिए वालकृष्ण मेनन ने ‘महाराजा कॉलेज’ में प्रवेश लिया। वे कॉलेज में विज्ञान के छात्र थे। जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और रसायन शास्त्र उनके विषय थे। यहां से इण्टर पास कर लेने पर उनके पिता का स्थानान्तरण त्रिचूर के लिए हो गया। बाद में 1940 में चिन्मयानंद ने ‘लखनऊ विश्वविद्यालय’ से विधि और अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन किया।
करियर
नई दिल्ली के समाचार पत्र ‘नेशनल हेरॉल्ड’ में पत्रकार की नौकरी की थी और यही से विभिन्न विषयों पर लिखने लगे। व्यावसायिक रूप से अच्छे प्रदर्शन के बाबजूद मेनन अपने तात्कालिक जीवन से असंतुष्ट व बेचैन थे तथा जीवन एवं मृत्यु और आध्यात्मिकता के वास्तविक अर्थ के शाश्वत प्रश्नों से घिरे हुए थे। आठ वर्षो तक उन्होंने वेदांत गुरु स्वामी तपोवन के निर्देशक में प्राचीन दार्शनिक साहित्य और अभिलेखों के अध्ययन में बिताया। इस दौरान चिन्मयानंद को अनुभूति हुई कि उनके जीवन का उद्देश्य वेदांत के संदेश का प्रसार और भारत में आध्यात्मिक पुनर्जागरण लाना है।
‘चिन्मय मिशन’ की स्थापना
स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने ‘चिन्मय मिशन’ की स्थापना की, जो दुनिया भर में वेदांत के ज्ञान के प्रसार में संलग्न है।
निधन
कैलिफ़ोर्निया में सैन डियागो में 3 अगस्त 1993 को दिल का घातक दौरा पड़ने से स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती सांसारिक जीवन से मुक्त हो गए।