Birth Anniversary: आजादी की लड़ाई में सुखदेव थापर ने मरते दम तक दिया भगत सिंह का साथ
देश के इस जोशीले क्रांतिकारी ने ब्रिटिश सरकार की हिला दी थी नींव
नई दिल्ली। देश के महान क्रांतिकारी भगत सिंह के दोस्त थे सुखदेव थापर…जो स्वयं भी एक क्रांतिकारी थे। सुखदेव ने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेकर देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने का अथक प्रयास किया था। सुखदेव ने अपने क्रांतिकारी जज्बे से अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था।
व्यक्तिगत जीवन
सुखदेव थापर का जन्म पंजाब के लुधियाना में 15 मई 1907 को हुआ था। पिता का नाम रामलाल और माता का नाम लल्ली देवी था। थापर के जन्म से तीन माह पूर्व ही पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण इनके ताऊ अचिन्तराम ने इनका पालन पोषण करने में इनकी माता को पूर्ण सहयोग किया। सुखदेव की तायी जी ने भी इन्हें अपने पुत्र की तरह पाला। सुखदेव थापर की सुखदेव और भगतसिंह से गहरी दोस्ती थी।
क्रांतिकारी जीवन
चंद्रशेखर आजाद ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन संगठन की स्थापना की थी। इस संगठन में सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु कार्यकर्ता थे। यह संगठन देश के क्रांतिकारियों के लिए बनाया गया था जो भारत को ब्रिटिश शासन से आजाद करवाना चाहते थे। सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन संगठन की पंजाब इकाई के मुख्य अध्यक्ष थे। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें पहले दर्जे का दोषी ठहराया गया था। भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए, 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश सरकार के पुलिस अधिकारी जॉन सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी।
निधन
ब्रिटिश सरकार ने जॉन सांडर्स की हत्या के अपराध में भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को फांसी देने का आदेश दिया। जो 24 मार्च 1931 को फांसी होनी थी। लेकिन एक दिन पहले 23 मार्च 1931 को लाहौर की जेल में सुखदेव, भगत सिंह व राजगुरु को फांसी दे दी। प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को राजगुरु, भगत सिंह तथा सुखदेव के सम्मान में राष्ट्र शहीद दिवस मनाया जाता है।