Birth Anniversayr: बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे महात्मा ज्योतिबा फुले, समाजसेवा जैसे कार्यों के लिए मिली महात्मा की उपाधि

अछुतोद्वार, नारी-शिक्षा, विधवा- विवाह जैसी अनेक कुरूतियों को दूर करने के लिए ज्योतिबा फुले ने किया संघर्ष

नई दिल्ली। बहुमुखी प्रतिभा के धनी महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के महान व्यक्तित्वों में से एक हैं। ये एक समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, विचारक, क्रान्तिकारी के साथ अनन्य प्रतिभाओं के धनी थे। इनकी समाजसेवा को देखते हुए मुंबई की एक विशाल सभा में 11 मई 1888 ईo को विट्ठलराव कृष्णाजी वंडेकर जी ने ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि से सम्मानित किया था।

जीवन परिचय
ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 ई को ब्रिटिश भारत के खानवाडी में हुआ था। ज्योतिराव की माता का नाम चिमनाबाई और पिता का नाम गोविंदराव था। ज्योतिराव का पालन पोषण सगुणाबाई नाम की एक दाई ने किया था।

कैसे पड़ा ‘फुले’ नाम
ज्योतिराव गोविंदराव फुले का परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से आकर खानवाडी में बसा था। यहां आकर इन्होंने फूलों का काम शुरू किया और उससे गजरा व माला इत्यादि बनाने का काम शुरू किया। इसलिए ये ‘फुले’ के नाम से जाने गए।

शिक्षा
ज्योतिराव ने प्रारंभ में मराठी भाषा में शिक्षा प्राप्त की। परन्तु बाद में जाति भेद के कारण बीच में ही इनकी पढ़ाई छूट गयी। बाद में 21 वर्ष की अवस्था में इन्होंने अंग्रेजी भाषा में मात्र 7 वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की।

व्यक्तिगत जीवन
ज्योतिराव गोविंदराव फुले का विवाह 1840 में साबित्री बाई फुले से हुआ। स्त्री शिक्षा और दलितों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के अपने उद्देश्य में दोनों पति-पत्नी ने साथ मिलकर कार्य किया।

सामाजिक कार्य
ज्योतिराव फुले ने दलितों व महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक कार्य किये। 24 सितंबर 1873 ई को इन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इन्होंने जाति प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से बिना पंडित के ही विवाह संस्कार प्रारंभ किया। इसके लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से मान्यता भी प्राप्त की। इन्होंने बाल-विवाह का विरोध किया। ये विधवा पुनर्विवाह के समर्थक थे।

ज्योतिराव फुले की पुस्तकें
ज्योतिराव फुले ने गुलामगिरी (1873), क्षत्रपति शिवाजी, अछूतों की कैफियत, किसान का कोड़ा, तृतीय रत्न, राजा भोसला का पखड़ा जैसी पुस्तकें लिखी थी।

निधन
28 नवंबर 1890 को 63 वर्ष की आयु में ज्योतिबा फुले का पुणे में निधन हो गया था।

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