बदायूं: सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का अहम योगदान- धर्मेंद्र
कार्यक्रम का आयोजन और छात्राओं की भाषण प्रतियोगिता
बदायूं: लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी महोत्सव समिति बदायूं के तत्वाधान में डाइट ऑडिटोरियम में प्रबुद्ध महिला सम्मेलन पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्राओं की भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विद्यालयों से आई छात्राओं ने लोकमाता अहिल्याबाई के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। प्रतियोगिता में राजकीय महाविद्यालय बदायूं की गीतांजलि ने प्रथम स्थान, दास कॉलेज की भूमिका सिंह ने द्वितीय और बीआईएमटी की छात्रा नंदिनी शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही कुछ समय पहले जनपद के कई कॉलेजों में निबंध और प्रश्नोत्तरी परीक्षा आयोजित की गई थी, जिनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
मुख्य अतिथि का संबोधन और लोकमाता की महिमा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक धर्मेंद्र जी ने उपस्थित मातृशक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि हमें लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकमाता ने अपनी शासन व्यवस्था में आध्यात्मिक और धार्मिकता का भाव समाविष्ट किया था। उन्होंने प्रजा के हित को सर्वोपरि रखते हुए जाति-धर्म से ऊपर उठकर शासन व्यवस्थाएं संचालित की। धर्मेंद्र जी ने यह भी कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई भारतीय धर्म, संस्कृति और सनातन परंपरा की साक्षात प्रतिमूर्ति थीं, और उनका योगदान सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा।
विशिष्ट अतिथियों का वक्तव्य
विशिष्ट अतिथि उपजिलाधिकारी कल्पना जायसवाल ने कहा कि अहिल्याबाई का जीवन भारतीय इतिहास का स्वर्णिम पर्व है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से उठकर उन्होंने असाधारण शासनकर्ता बनने तक की जो यात्रा तय की, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है। वे सादगी, धर्म के प्रति समर्पण, प्रशासनिक कुशलता और उज्ज्वल चारित्र्य की अद्वितीय आदर्श थीं।
वक्ता डॉ. सरला चक्रवर्ती ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर भारतीय नारी की गरिमामयी परंपरा का दैदीप्यमान सितारा हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में महिला और पुरुष को समान रूप से ईश्वरीय शक्ति की अभिव्यक्ति माना गया है।
कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम की अध्यक्ष, चेयरपर्सन उझानी पूनम अग्रवाल ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को उनकी न्यायप्रियता, कुशल प्रशासन और सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए सदैव याद किया जाएगा।
विभाग प्रचारक विशाल जी ने लोकमाता के योगदान को विस्तार से बताते हुए कहा कि वे आत्मनिर्भरता, प्रतिबद्धता, दूरदृष्टि, युद्धनीति, रणनीति, प्रबंधन, आंतरिक सुरक्षा, साहस, न्यायप्रियता, राष्ट्रीय एकीकरण और स्त्री सशक्तिकरण के श्रेष्ठ प्रतिमान थीं।
कार्यक्रम संयोजिका सीमा रानी ने अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी और सीमा चौहान ने किया।
इस अवसर पर रजनी मिश्रा, रचना शंखधार, विमलेश गुप्ता, शुभ्रा गुप्ता, चेयरपर्सन बिल्सी ज्ञानदेवी सागर, चेयरपर्सन गुलड़िया तारा देवी, पूर्व चेयरपर्सन दीपमाला गोयल, सपना तोमर, बीना सिंह, कमलेश सिंह, ममता नौगरिया, कमला माहेश्वरी, सीमा राठौर सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।