ऐलनाबाद: हरियाणा में भाजपा संगठन की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है और जनवरी के दूसरे सप्ताह तक मंडल अध्यक्षों का चुनाव संपन्न होने के बाद जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, दो बार जिला अध्यक्ष रहे दिग्गजों को तीसरी बार यह अवसर नहीं मिलेगा, और प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली अपने पद पर बने रह सकते हैं। वहीं, आधा दर्जन से अधिक जिलों के जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का फोकस सिरसा जिले के फतेहाबाद और सिरसा पर बना हुआ है, जहां भाजपा का जनाधार लगातार घट रहा है। इन दोनों जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का कोई विधायक नहीं है। इनैलो के कथित गढ़ रहे इन क्षेत्रों में 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा की सुनीता दुग्गल ने बड़ी जीत हासिल की थी, और कांग्रेस प्रत्याशी अशोक तंवर को तीन लाख दस हजार वोट से पराजित किया था। इसके बाद भाजपा को संजीवनी मिली, और दूडाराम को फतेहाबाद तथा लक्ष्मण नापा को रतिया विधानसभा क्षेत्र से जीत मिली।
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सैलजा को इन दोनों जिलों में बढ़त मिली और भाजपा का खाता नहीं खुला। भाजपा के उम्मीदवार ने सिरसा से अपना नामांकन वापस लिया, जिससे पार्टी का जनाधार और भी कमजोर हुआ।
इस राजनीतिक स्थिति ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को चिंतित कर दिया है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस समय इन दोनों जिलों के जिलाध्यक्षों को बदलने पर विचार कर रहा है। फतेहाबाद जिले में भट्टू कलां और रतिया की पंचायत समिति के अध्यक्ष पद को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का रद्द होना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं रहा। इन दोनों जिलों में भाजपा का जनाधार घटने की वजह से यह क्षेत्र भाजपा मुक्त होने की ओर बढ़ सकता है।
पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब इन जिलों में ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहा है, जो भाजपा का जनाधार बढ़ा सकें। चर्चा है कि भाजपा फतेहाबाद से प्रवीण जौडा और सिरसा से मनीष सिंगला को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकता है, क्योंकि ये दोनों नेता जिला मुख्यालय पर निवास करते हैं और इनकी पृष्ठभूमि भाजपा से जुड़ी हुई है।