पश्चिम बंगाल के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले की तीखी आलोचना के बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने आज विधानसभा में एक एंटी रेप बिल पेश किया है। इस बिल के तहत बलात्कार के दोषियों को 10 दिन के भीतर फांसी की सजा देने का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 28 अगस्त को टीएमसी छात्र परिषद के स्थापना दिवस समारोह के दौरान इस विधेयक का वादा किया था।
मृत्युदंड का प्रस्ताव:
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश बलात्कार विरोधी विधेयक का नाम “अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024” होगा। इस विधेयक में बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है, विशेष रूप से जब अपराध के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह बेहोश हो जाती है।
इसके अलावा, दोषियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की सजा का भी प्रस्ताव किया गया है।
विधेयक की विशेषताएँ:
- मृत्युदंड: अपराध के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु या बेहोशी की स्थिति में दोषियों को मृत्युदंड।
- अजीवन कारावास: बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास।
- संशोधन: विधेयक भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और 2012 के पोक्सो अधिनियम के कुछ हिस्सों में संशोधन करने का प्रयास करेगा।
राज्य विधानसभा का सत्र:
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने विधेयक पेश करने के लिए सोमवार से राज्य विधानसभा का दो दिवसीय सत्र बुलाया है। इस विधेयक को राज्य के कानून मंत्री मोलॉय घटक ने पेश किया।
फिलहाल की सजा:
बीएनएस की धारा 64 के तहत बलात्कार के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। बीएनएस की धारा 66 में बलात्कार और हत्या के मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान है, हालांकि इसमें 20 साल की जेल या आजीवन कारावास की भी अनुमति है।