ऐलनाबाद: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने आरोप लगाया है कि देश के शहरों और कस्बों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शुरू की गई अमृत योजना (अटल मिशन फॉर रिजूवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) भ्रष्टाचार का शिकार हो गई है। उन्होंने सरकार से इस योजना पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की, जिसमें यह बताया जाए कि इस पर कितना खर्च हुआ और इसके तहत क्या काम किए गए।
योजना का उद्देश्य और विफलता
कुमारी सैलजा ने कहा कि 25 जून 2015 को शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में पानी, सीवरेज, परिवहन और हरित स्थानों जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना था। इसका मुख्य लक्ष्य गरीब और वंचित वर्ग के जीवन स्तर को सुधारना था। यह योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल (पीपीपी) के तहत चलाई जा रही थी।
योजना के तहत हर घर में पानी की आपूर्ति, सीवरेज नेटवर्क का विकास, प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन और पैदल यात्री सुविधाओं का निर्माण, और पार्क जैसे हरित क्षेत्रों का विकास किया जाना था। लेकिन कुमारी सैलजा का आरोप है कि इस योजना के तहत काम केवल कागजों तक ही सीमित रह गया।
सिरसा का उदाहरण
कुमारी सैलजा ने सिरसा का उदाहरण देते हुए कहा कि इस योजना के तहत बरसाती पानी की निकासी के लिए 40 करोड़ रुपये की पाइपलाइन डाली गई थी, लेकिन जलभराव की समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि शहर में स्थिति पहले से भी बदतर हो गई है।
भ्रष्टाचार का आरोप और श्वेत पत्र की मांग
उन्होंने कहा कि अमृत योजना भ्रष्टाचार का शिकार हो गई है, और इसके तहत जारी धनराशि का दुरुपयोग किया गया। जिन शहरों और कस्बों में यह योजना लागू की गई, वहां बुनियादी ढांचे में कोई सुधार नहीं हुआ।
कुमारी सैलजा ने सरकार से मांग की है कि:
अमृत योजना पर श्वेत पत्र जारी किया जाए।
बताया जाए कि कितने बजट का आवंटन हुआ।
धनराशि कहां-कहां खर्च की गई।
बुनियादी ढांचे में क्या बदलाव आए।
भाजपा सरकार पर निशाना
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में जो भी योजनाएं लागू की गईं, वे या तो अधूरी रह गईं या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता की समस्याओं की अनदेखी की और लोगों की शिकायतों को कभी गंभीरता से नहीं लिया।
कुमारी सैलजा ने इस योजना की असफलता के लिए सीधे सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस पर ठोस जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने जनता से अपील की कि वे सरकार से अपने सवालों का जवाब मांगें।