अमित शाह ने नई दिल्ली में “डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला” का उद्घाटन किया
नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में “डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला” का उद्घाटन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी, कुशलता और संसाधनों की सर्कुलरिटी को बढ़ावा देना है, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार किया जा सके।
अपने उद्घाटन भाषण में अमित शाह ने कहा कि श्वेत क्रांति-2 की दिशा में यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि श्वेत क्रांति-1 के बाद अब सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी को पूरा करना बाकी है। उन्होंने बताया कि श्वेत क्रांति-2 का मुख्य उद्देश्य इन पहलुओं को सुनिश्चित करना है, और इस दिशा में कार्यशाला का आयोजन एक मील का पत्थर है।
सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि भारत का डेयरी क्षेत्र न केवल देश की पोषण आवश्यकता को पूरा करता है, बल्कि ग्रामीण विकास, छोटे किसानों की समृद्धि और कृषि के अतिरिक्त आय सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर क्षेत्र में संभावनाओं का अधिकतम उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
अमित शाह ने यह भी कहा कि भारत की कृषि प्रणाली छोटे किसानों पर आधारित है और ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर हो रहा पलायन रोकने के लिए डेयरी एक अहम विकल्प हो सकता है। उन्होंने डेयरी क्षेत्र की संभावनाओं को पूरी तरह से अनलॉक करने के लिए इस सेमिनार को एक उपयोगी कदम बताया।
सहकारिता मंत्री ने प्रधानमंत्री के “सहकार से समृद्धि” के मंत्र को लेकर डेयरी क्षेत्र में नए प्रक्षेपण की दिशा में कई योजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें सर्कुलरिटी मार्गदर्शिका का विमोचन, बायोगैस परियोजनाओं के लिए वित्तीय योजनाएं और एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) और Sustain Plus परियोजना का शुभारंभ शामिल है। उन्होंने किसानों को सहकारिता के नेटवर्क में लाने पर भी जोर दिया, ताकि गोबर का प्रबंधन भी सहकारी क्षेत्रों द्वारा किया जा सके और किसानों को और अधिक लाभ मिल सके।
सहकारिता मंत्री शाह ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर भी बल दिया, जैसे गुजरात के माइक्रो एटीएम मॉडल का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे देश भर में फैलाने की आवश्यकता बताई। साथ ही, उन्होंने डेयरी क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट की अवधारणा को भी लागू करने की बात की, जिससे किसानों को सीधा फायदा हो सके।
कार्यशाला में केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल, सचिव अलका उपाध्याय सहित कई प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया।