पुलिस के सख्त पहरे के बीच हिन्दू संगठनों, महामंडलेश्वर और विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने की मंदिर के बाहर महापंचायत
1 सप्ताह के लिए स्थगित हुई, कार्यवाही नहीं होने पर 10 लाख लोगों के साथ फिर होगी महापंचायत
डासना मंदिर पर हमले के विरोध में रविवार को आयोजित महापंचायत को पुलिस प्रशासन ने रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। 5 लाख से अधिक लोगों के जुटान को रोकने के लिए पुलिस ने जगह-जगह बेरिकेडिंग और नजरबंदी कर दी। यहां तक कि मंदिर में दैनिक पूजा करने वालों को भी प्रवेश नहीं दिया गया। पुलिस ने महिलाओं और साधुओं पर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई साधुओं से अभद्रता की गई और इसका वीडियो भी वायरल हो गया। पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया।
इस बीच, महापंचायत में प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें चार मुख्य मांगें की गईं—देश से रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालने, मंदिर पर हमले के आरोपियों पर रासुका लगाने, कमिश्नर पर मुकदमा दर्ज करने और मंदिर हमलों की जांच के लिए फास्टट्रैक कोर्ट की मांग शामिल है।
महापंचायत की मुख्य बातें:
डासना मंदिर पर हमले के विरोध में हिन्दू संगठनों और साधु संतों ने महापंचायत बुलाई थी, जिसमें कई महामंडलेश्वर और संगठनों के प्रमुख शामिल हुए। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग कर लोगों को मंदिर तक नहीं पहुंचने दिया। इसके बावजूद, विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने मंदिर के पास ही हजारों लोगों की उपस्थिति में महापंचायत का आयोजन किया।
महामंडलेश्वर साध्वी आस्था मां की अध्यक्षता में हुई महापंचायत में पुलिस प्रशासन की कड़ी आलोचना की गई। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने पुलिस की लाठीचार्ज को निंदनीय बताया और कहा कि यह सरकार की छवि खराब करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने महापंचायत में आ रहे भक्तों को भी गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की गई।
महापंचायत की मुख्य मांगें:
देश में मौजूद 10 करोड़ से अधिक रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को तुरंत देश से निकालने की मांग।
डासना मंदिर पर हमले के आरोपियों पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत कठोर कार्यवाही की जाए।
मंदिरों पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए देशभर में सख्त कानून बनाया जाए और दोषियों को फास्टट्रैक कोर्ट में सजा दिलाई जाए।
कमिश्नर पर मुकदमा दर्ज किया जाए, जिन्होंने मंदिर हमले के बाद प्रतिनिधिमंडल पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।
पंचायत में कहा गया कि अगर 1 सप्ताह के भीतर कार्यवाही नहीं हुई तो 10 लाख लोगों के साथ फिर से महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।