वाराणसी: तिरुपति लड्डू विवाद के बीच धर्म की नगरी ‘वाराणसी’ से बड़ी खबर सामने आई है। यहां पर साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। जानकारी के अनुसार, वाराणसी के करीब 14 मंदिरों में स्थापित साईं बाबा की मूर्ति हटा दी गई है। इनमें सबसे प्रसिद्ध बड़ा गणेश मंदिर और पुरुषोत्तम मंदिर का नाम शामिल है। अब सवाल उठता है कि आखिरकार मंदिरों से साईं प्रतिमा को क्यों हटाया जा रहा है?
मंदिरों से क्यों हटाई जा रही साईं बाबा की मूर्तियां?
हिंदू संगठनों का आरोप है कि साईं बाबा ‘मुस्लिम’ हैं और उनका सनातन धर्म से कोई लेन-देन नहीं, इसलिए प्रतिमाओं को हटाया जा रहा है। संगठनों ने ये भी कहा कि साईं पूजा का विरोध नहीं है, लेकिन मंदिरों में मूर्ति नहीं लगने देंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे पूरे सम्मान के साथ मंदिर प्रबंधन से अनुमति के बाद ही साईं मूर्ति को हटा रहे हैं।
मृत मनुष्यों की मूर्ति की पूजा करना वर्जित
सनातन रक्षक दल (हिंदू संगठनों) का कहना है कि किसी भी मंदिर में मृत मनुष्यों की मूर्ति की पूजा करना वर्जित है। हिंदू धर्म में मंदिरों में केवल 5 देवों – सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणपति के स्वरूपों की मूर्तियां ही स्थापित की जा सकती हैं। साईं बाबा मुस्लिम हैं और उनका सनातन धर्म से कोई रिश्ता नहीं है। इसलिए, मंदिरों से मूर्ति हटाने का कार्य किया जा रहा है।
साईं बाबा का असली नाम ‘चांद मियां’?
साईं बाबा की प्रतिमा का विरोध करने वालों का कहना है कि उनका असली नाम ‘चांद मियां’ है और वह मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते थे। आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब कोई हिंदू संगठन साईं बाबा की पूजा पर सवाल खड़े कर रहा हो। इससे पहले भी हिंदू संगठन साईं बाबा की पूजा पर विरोध कर चुके हैं।
यह विवाद वाराणसी के धार्मिक माहौल में नया मोड़ ला सकता है, जहां विभिन्न धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं। इस स्थिति पर सभी की निगाहें हैं कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।