नई दिल्ली: किसानों की मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी के बॉर्डर्स पर एक बार फिर तनाव का माहौल है। हजारों किसान ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत राजधानी में प्रवेश की कोशिश कर रहे हैं। शंभू बॉर्डर पर आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। इस बीच, संसद के शीतकालीन सत्र में किसानों के लिए राहतभरी खबर आई।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में घोषणा की कि नरेंद्र मोदी सरकार सभी कृषि उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी।
किसानों को मिला आश्वासन
शिवराज चौहान ने किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा, “मैं सदन के माध्यम से आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसानों की सभी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी। यह मोदी सरकार है और मोदी की गारंटी को पूरा करने की गारंटी है।”
मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली तक पैदल मार्च कर रहे हैं।
पिछली सरकारों पर निशाना
केंद्रीय मंत्री ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने कभी किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, “संप्रग सरकार ने एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, खासकर उपज की लागत से 50 प्रतिशत अधिक देने की बात।”
शिवराज चौहान ने दावा किया कि मोदी सरकार 2019 से ही किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि धान, गेहूं, ज्वार और सोयाबीन जैसी फसलों को तीन साल से उत्पादन लागत से अधिक मूल्य पर खरीदा जा रहा है।
आंदोलन जारी, बॉर्डर सील
दिल्ली में किसानों के प्रवेश को रोकने के लिए बॉर्डर्स सील कर दिए गए हैं। शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई, जिसमें आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और सरकार से जल्द ठोस कदम उठाने की अपील कर रहे हैं।
सरकार का रुख साफ
शिवराज सिंह चौहान ने सदन में कहा कि “मोदी सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य देने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने पूर्व कृषि राज्य मंत्री कांतिलाल भूरिया और शरद पवार के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने एमएसपी को लागू करने में गंभीरता नहीं दिखाई।
कृषि मंत्री ने सदन में अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज पेश करने की सहमति जताई।
आगे की राह
किसानों के इस आंदोलन ने केंद्र सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। हालांकि, एमएसपी पर सरकार के आश्वासन से विवाद का हल निकलने की उम्मीद है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह ऐलान आंदोलनकारी किसानों को संतुष्ट कर पाएगा?