रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हॉल में आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के प्राकट्य दिवस पर लगाई गई पवित्र रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं पुस्तकों की विशेष प्रदर्शनी

रामपुर: रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हॉल में आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के प्राकट्य दिवस पर पवित्र रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं पुस्तकों की विशेष प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का उद्घाटन रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र एवं हर्षा दास चीफ पर्सनल अधिकारी उत्तर रेलवे के कर कमलों द्वारा किया गया। प्रदर्शनी में दुर्लभ चित्रित वाल्मीकि रामायण, आदि रामायण संस्कृत, जगमोहन रामायण, कृत्तिवास रामायण, श्री रंगनाथ रामायण, कम्ब रामायण, योगवासिष्ठ महारामायणम्, श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम् इत्यादि को प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र ने कहा कि लाइब्रेरी लगभग हर महापुरूष की जयन्ती मनाती है। आज आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के प्राकट्य दिवस पर हम सभी यहाँ उपस्थित हुए हैं। हमारे जीवन में राम कथा रची बसी है। इन्डोनेशिया, कम्बोडिया आदि सम्पूर्ण विश्व में राम कथाओं का इतना प्रचलन है कि 100 से अधिक रामायणों की रचना हुई है, 40 उपलब्ध हैं। कहा कि लाइब्रेरी के संकलन में अभी हाल ही में 15 रामायणों को संकलित किया जा चुका है और कहा कि हमारा प्रयास है कि जितनी भी रामायण प्रकाशन व पाण्डुलिपियों के रूप में शेष हैं उनसे लाइब्रेरी को समृद्ध करेंगे। कहा कि जितनी भी रामकथायें हैं उनका श्रोत वाल्मीकि रामायण है। कहा कि लोगों को मालूम नहीं है कि उनकी एक और उत्कृष्ट रचना योगवासिष्ठ है। इसको स्वयं वाल्मीकि ने उत्तर रामायण कहा है। यह काव्य व दर्शन की दृष्टि से मानव जाति की उत्कृष्टतम् रचनाओं में से एक है। इस अवसर पर हर्षा दास चीफ पर्सनल अधिकारी उत्तर रेलवे, डॉ अबुसाद इस्लाही, अरूण कुमार सक्सेना, डॉ प्रीति अग्रवाल ने भी अपने विचार प्रकट किये।

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