नई दिल्ली। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू होते हैं जो कि इस साल आज यानि 9 अप्रैल से शुरू हो गए हैं। इस दौरान भक्त 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों का विधि-विधान से पूजन करते हैं। जिस घर पर मां दुर्गा का आशीर्वाद होता है वहां सुख, समृद्धि, धन, दौलत व खुशहाली बनी रहती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और इस दिन कुछ घरों में जौ बोने की भी परंपरा है। नवरात्रि के पहले मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं जो कि नवरात्रि के अंतिम दिन तक उग जाते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर नवरात्रि में जौ क्यों बोए जाते हैं –
नवरात्रि में क्यों बोए जाते हैं जौ?
धर्म शस्त्रों के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस दौरान सृष्टि पर वनस्पति उगाई गई और जो वनस्पति सबसे पहले विकसित हुई वह ‘जौ’ थी। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही जौ बोने की भी परंपरा है और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं कि जौ बोने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जौ की तरह की खुशियां बढ़ती हैं। बता दें कि जौ कि ब्रह्मा जी का प्रतीक भी माना जाता है और इसलिए प्रत्येक पूजा में जौ का उपयोग किया जाता है।
नवरात्रि के पहले जौ बोए जाते हैं और 9 दिनों तक उनकी देखभाल व पूजा-अर्चना की जाती है। जब जौ उगने लगते हैं तो यह आपके जीवन में आने वाले शुभ व अशुभ समय का संकेत देते हैं। यदि नवरात्रि के बाद 2 से 3 दिन में ही जौ उगने लगे तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि आप पर माता रानी की कृपा बनी हुई है। वहीं यदि 2-3 दिन में जौ नहीं उगते तो यह अच्छा संकेत नहीं है। इसका मतलब है कि आपको किसी भी कार्य के लिए बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है।