Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान, यहां जानें पूजा विधि, श्लोक, मंत्र एवं भोग
रोग दूर करने वाली देवी है मां कुष्मांडा
नई दिल्ली। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि 9अप्रैल से शुरू हो चुकी है। नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है।
मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं है। कहते हैं कुष्मांडा मां के हाथों में कमंडल, धनुष, कमल, पुष्प, अमृतकलश, गदा व चक्र आदि होते हैं। इसके साथ ही मां जपमाला रखती हैं और सिंह की सवारी करती हैं। देवी कुष्मांडा को मान्यतानुसार रोग दूर करने वाली देवी भी कहते हैं और वे भक्तों को यश, बल व धन से समृद्ध कर देती हैं।
मां कुष्मांडा की पूजा- विधि
पूजा में मां कुष्मांडा को धुप, गंध, अक्षत, फल, लाल पुष्प और सूखे मेवे आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद मां को भोग लगाया जाता है। भोग में आमतौर पर हलवा और दही लगाया जाता है।
इसके अतिरिक्त मां कुष्मांडा को भोग में माल पुए भी चढ़ाए जा सकते हैं।
श्लोक-
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र-
देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
मंत्र: या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: