Birth Anniversary: गरीबों के मसीहा और देश के सबसे बड़े दलित नेता थे जगजीवन राम, 50 सालों तक सांसद बने रहने का बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड

आपालकाल में कांग्रेस से अलग हुए जगजीवन राम ने 1977–79 तक संभाला भारत के उप प्रधानमंत्री का कार्यभार

नई दिल्ली। एक राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ने वाले योद्धा जैसे कई उपाधि प्राप्त जगजीवन राम की आज 116वीं जयंती है। अपनी कड़ी मेहनत और तपस्या के दम पर जगजीवन ने लाखों लोगों की जिंदगियां बदली और समाज के हर तबके के लोग को साथ लेकर चलने के लिए जीवन प्रयत्न काम किया।

जीवन परिचय
जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को चंदवा, बिहार के एक दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता शोभा राम एक किसान थे। इनकी मां का नाम बसंती देवी था।

शिक्षा
जगजीवन राम ने अपनी स्कूली शिक्षा आरा शहर से प्राप्त की और यही से उन्होंने पहली बार भेदभाव का सामना किया। जगजीवन राम अध्ययन के लिए कोलकाता गए वहीं से उन्होंने 1931 में स्नातक की डिग्री हासिल की।

व्यक्तिगत जीवन
जगजीवन राम जी का विवाह 1935 में इंद्राणी देवी से हुआ था दोनों की 2 संताने थी- सुरेश कुमार और मीरा कुमारी

राजनीतिक जीवन
दलितों के मसीहा के नाम से मशहूर बाबू जगजीवन राम का राजनीतिक जीवन काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी की बाद बनी सरकारों में काफी अहम भूमिका निभाई। जीवनराम इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी से अलग होने के बाद जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़े। 1977 का चुनाव होने से पहले हेमवती नंदन बहुगुणा के साथ मिलकर अलग पार्टी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी बनाई।
भारत ने 1971 में जब पाकिस्तान पर जीत हासिल की उस समय जगजीवन राम देश के रक्षा मंत्री थे। इतना ही देश में जब हरित क्रांति आई उस समय वह देश के कृषि मंत्री थे। जगजीवन राम संसद में 50 साल तक बैठने का रिकॉर्ड बना चुके थे।

निधन
उनका निधन 6 जुलाई, 1986 को नई दिल्ली में हुआ। उनके श्मशान स्थल पर स्मारक का नाम समता स्थल है।

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