अरावली को चाहिए ऑक्सीजन: दिल्ली-NCR में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या, घाटी को संरक्षण करना जरूरी
देश की राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में प्रदूषण बड़ी समस्या है।
फरीदाबाद। देश की राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में प्रदूषण बड़ी समस्या है। पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई, जिसमें राजधानी दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी में शामिल है। बीते वर्ष यानी 2023 में यहां पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 102.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जो उसे दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनाता है। यही कुछ हाल फरीदाबाद, गुरुग्राम, रेवाड़ी, नारनौल शहरों का है, जहां प्रदूषण अक्टूबर के बाद से विकराल रूप धारण करने लगता है।
यह हाल तब है, जब राजधानी दिल्ली सहित यह सभी शहर अरावली वन क्षेत्र से घिरे हुए हैं। हराभरा वन क्षेत्र ऑक्सीजन की फैक्ट्री कहलाता है, पर यह साफ है कि अगर इन शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं है और दम घोटू है तो कहीं न कहीं अरावली वन क्षेत्र का हरण हो रहा है। वन काटे जा रहे हैं और वहां गैर वानिकी क्षेत्र विकसित हो रहा है। अरावली को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों और संरक्षण किए जाने वाले प्रयासों को लेकर प्रस्तुत है।
देश की राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में प्रदूषण बड़ी समस्या है। पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई जिसमें राजधानी दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी में शामिल है। बीते वर्ष यानी 2023 में यहां पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 102.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया है जो उसे दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनाता है।
अरावली केवल भूजल व पर्यावरण बचाने का ही केंद्र नहीं है बल्कि अपने अंदर हजारों वर्ष पुराने पेड़ों का इतिहास संजोए हुए है। अरावली की खूबसूरत वादियों से आमजन को रूबरू कराया गया, ताकि पता लग सके कि यहां कैसा-कैसा प्राकृतिक खजाना है। इसका मकसद यह भी है कि शासन-प्रशासन की योजनाएं लागू हुई तो हम यहां क्या-क्या खो देंगे।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों के लिए तो अरावली वन क्षेत्र जीवन रक्षक के समान है और अरावली में गैर-वानिकी कार्यों पर पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, पर इसके बावजूद विशेषज्ञों के अनुसार दस हजार एकड़ से अधिक भूमि पर गैर-वानिकी कार्य हो चुके हैं।
पर्यावरण संरक्षण में काम कर रही सेव अरावली संस्था के संस्थापक जितेंद्र भड़ाना के अनुसार फरीदाबाद-गुरुग्राम जिलों में ही अवैध रूप से बड़ी संख्या में अवैध फार्म हाउस बन चुके हैं। इन फार्म हाउस में वाणिज्यिक गतिविधियां भी होती हैं। बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान, धर्मशालाएं, गौशालाएं, विभिन्न धार्मिक संस्थान स्थापित हो चुके हैं। बैंक्वेट हाल भी हैं।
सूरजकुंड रोड पर कई स्थानों से ऊंची इमारतें साफ तौर पर दिखाई देती हैं। इसी तरह से वन क्षेत्र में पूर्व में गहरे तक अवैध खनन भी हुआ। करीब साढ़े चार वर्ष पूर्व हरियाणा सरकार ने अरावली वन क्षेत्र को वन संरक्षण अधिनियम के दायरे से बाहर निकालने की योजना बनाई थी, पर इसका पुरजोर विरोध होना शुरू हुआ तो सरकार ने उस समय तो कदम वापस खींच लिए पर बाद में पीएलपीए-1900 की धारा 2,3,4,5,6 में बदलाव का संशोधन विधेयक पारित किया था।