भारत के दूसरे लोकसभा अध्यक्ष थे एम. ए. अय्यंगार, छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे कांग्रेस नेता

1946-47 के दौरान संसद में कांग्रेस पार्टी के सचिव भी रहे एम. ए. अय्यंगार

नई दिल्ली। भारत के दूसरे लोकसभा अध्यक्ष एम. ए. अय्यंगार की आज पुण्यतिथि है। लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर के आकस्मिक निधन के बाद खाली हुए अध्यक्ष पद का दायित्व ग्रहण करके मदभूषी अनन्तशयनम् अय्यंगार ने स्वतंत्रता की उपलब्धियों तथा नव गणतंत्र में स्वस्थ संसदीय संस्कृति को विकसित करने के अधूरे कार्य को आगे बढ़ाने का काम किया।

जीवन परिचय
मदभूषी अनन्तशयनम् अय्यंगार का जन्म 4 फ़रवरी, 1891 को आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक नगरी तिरुपति के निकट तिरुचाणुर में हुआ था।

शिक्षा
देवस्थानम हाई स्कूल, तिरूपति में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की थी। पचयप्पाज कॉलेज, मद्रास से कला स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने 1913 में ‘मद्रास लॉ कॉलेज’ से क़ानून में डिग्री प्राप्त की।

शुरूआती जीवन
अय्यंगार ने अपना जीवन गणित के अध्यापक के रूप में 1912 में आरंभ किया। 1915 में वे क़ानून के पेशे में आ गए।
अय्यंगार बहुत छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। वे अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व कर रही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अपने गृह राज्य के प्रमुख नेताओं में से एक थे। गांधी जी द्वारा अंग्रेज़ी के प्रति “असहयोग” के लिए किए गए आह्वान के प्रत्युत्तर में अय्यंगार ने 1921-22 के दौरान एक वर्ष के लिए अपना क़ानूनी अभ्यास भी बंद कर दिया।

राजनीतिक करियर
अय्यंगार, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के अग्रणी नेताओं में से थे और स्वतंत्रता से पूर्व उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे ज़िला कांग्रेस कमेटी, चित्तूर के अध्यक्ष रहे। 1946-47 के दौरान, वे संसद में कांग्रेस पार्टी के सचिव भी रहे।

निधन
19 मार्च, 1978 को 87 वर्ष की आयु में अनन्तशयनम अय्यंगार का निधन हो गया।

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