माहेश्वरी साहित्यकार मंच द्वारा आयोजित ऑनलाइन लेखनी कार्यक्रम “बसंतोत्सव” में देश भर के 100 से अधिक माहेश्वरी साहित्यकारों ने स्वरचित काव्य सृजन द्वारा मंच को सुशोभित किया। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर हिंदी साहित्य व संस्कृति के संवर्धन हेतु सभी ने अनूठा योगदान दिया।
मंच से मधु भूतड़ा ‘अक्षरा’ गुलाबी नगरी जयपुर ने कार्यक्रम के सभी अतिथियों का स्वागत किया और बसंत ऋतु पर अपनी रचना शीर्षक ‘तब समझ लो वसंत है’ जिसकी कुछ पंक्तियां
“खेतों में रुनझुन की राग
रसोई में सरसों का साग
माथे पर सजे सुंदर पाग
तब समझ लो वसंत है।
गोरी के माथे पर झूमर
लगे दुल्हन सी वो सुंदर
करें ढोल पर जब घूमर
तब समझ लो वसंत है।”
मधु जी की कविता ने मंच पर खूब प्रंशसा बटोरी। स्वाति जैसलमेरिया ने वसंत के माधुर्य से भरी फूलों की बौछार से परिपूर्ण यह धरा सुंदर नव युग की आहट सुनाता।
बसन्तोत्सव का महापर्व हम सबका.. मां शारदे की स्थापना करते हुए रचना प्रेषित की कलावती करवा ने बसंतऋतु है सब ऋतुओं का ऋतुराज/ लगता सबको बहुत सुहाना सुंदर साज।मनोहरी छटा बिखेरे सुंदर लगे उपवन/
सुरीली कोयल कूके,लगे प्यारा मधुबन. ..प्रस्तुत की।
भारती माहेश्वरी की पंक्तियां
“नव पल्लव नवनीत
झूल रहे श्यामा श्याम
रंग गुलाल की मची रे होली
मुखड़ा सुंदर लागे घनश्याम”
मंच के निवेदन पर श्री द्वारका प्रसाद जी तापड़िया, श्रीमती आशा जी मूंदड़ा, श्रीमती गीतू जी माहेश्वरी, श्रीमती सविता जी बांगड ने वीडियों द्वारा गीत छंद के माध्यम से पावन भाव प्रेषित किए।
देश एवं विदेश के अलग-अलग प्रांतों से सभी साहित्यकारों ने अपनी कलम से मंच को बासंती रंग से भर दिया।
प्रियंका बागाणी सौसर, मीना माहेश्वरी रीवा, दीपा एम खेतावत जोधपुर, शीला माहेश्वरी सौसर, लखन लाल माहेश्वरी अजमेर , शकुंतला मंत्री गुमला, माधुरी सारडा भंडारा, सविता बांगड़ ‘सुर’ भोपाल, ज्योति माहेश्वरी ब्यावर, राखी सावल छिंदवाड़ा, राखी श्री फलोड़ जहीराबाद, अर्चना लखोटिया केकड़ी, डॉ आभा माहेश्वरी अलीगढ़, मीनू भट्टड़ नागपुर, भगवती बिहानी छापर, शीला तापड़िया नागपुर, विनीता काबरा जयपुर, डॉ शैलजा एन भट्टड़ बेंगलुरु, उर्मिला तापड़िया नोखा, सुमन माहेश्वरी फरीदाबाद, सुनीता माहेश्वरी नाशिक, रंजना बिनानी गोलाघाट, नीलम पेड़ीवाल जमशेदपुर, चेतना जागेटिया भीलवाड़ा, सारिका फलोर केन्या, कुमकुम काबरा बरेली, मंजू हरकुट मेरठ, संध्या सारडा संबलपुर, दीपमाला माहेश्वरी दिल्ली, अंजना पसारी इंदौर, संतोष काबरा भीलवाड़ा, घनश्याम सोमानी कोलकाता, भारती बिहानी सिलीगुड़ी, महेश झंवर अमृतसर, शशि लाहोटी कोलकाता, उषा करवा हनुमानगढ़, सुनीता बाहेती जोरहाट, श्वेता बागानी सौसर, सौ.धीरज गांधी नागपुर, महेश्री महर्षि मुंबई, ममता लखाणी नापासर, मनीषा राठी उज्जैन, अयोध्या चौधरी अलीराजपुर, दीपिका चौखड़ा मकराना, सुचिता माहेश्वरी जयपुर, किरण कलंत्री रेनुकूट, श्वेता धूत हावड़ा, तृप्ति माहेश्वरी सौसर, सोनाली काला पुणे, सुरेंद्र बजाज जयपुर, राजश्री राठी अकोला,भारती माहेश्वरी नलखेड़ा, आशा मानधन्या इंदौर, ज्योत्सना माहेश्वरी मेरठ, सुनीता लाहोटी बेंगलुरु, नीलम सोमानी मोहोपाड़ा, मधु माहेश्वरी सलूंबर, शुभ कीर्ति माहेश्वरी मुंबई, पूजा नबीरा काटोल, मीनू झंवर भीलवाड़ा, किरण अटल विराटनगर , सुमिता मूंधड़ा मालेगांव, विनीता ‘निर्झर’ मालू अजमेर, सरोज गट्टानी परभणी, लता राठी जोधपुर, सुनीता माहेश्वरी नाशिक, रूक्मण लड्ढा मुंबई, रमेश चंद्र माहेश्वरी बिजनौर, द्वारका प्रसाद तापड़िया जयपुर, बिंदु सोमानी किशनगढ़, निर्मला मूंदड़ा इंदौर, पुष्पा बल्दवा ठाणे, अतुल कासट भीलवाड़ा, नीलू मालपानी पिपरिया, संगीता दरक मनासा, दामोदर मनिहार नागौर, डॉ ज्योति भूतड़ा अमरावती, गायत्री नवाल जयपुर, मीता लखोटिया जयपुर।
“शब्दों की उम्दा महफिल
आप सभी ने सजाई
प्रेम की बरसात करने के लिए
क्या कहें हम
माँ भी सबको देख मुस्कुराई”
इन पंक्तियों के संग सतीश लाखोटिया ने मंच की ओर से आभार प्रकट किया और श्याम सुंदर माहेश्वरी ने सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।