6 फरवरी को रखा जाएगा षटिलता एकादशी का व्रत, करें इन मंत्रों का जाप और जानें तिल के दान का महत्व

नोएडा। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन षटिलता एकादशी व्रत रखा जाता है जो कि इस साल 6 फरवरी को है। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इस व्रत को रखने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद और कृपा पाना चाहते हैं तो पूजा के दौरान मंत्र, चालीसा और आरती अवश्य करनी चाहिए।

भगवान विष्णु का गुप्त मंत्र
ऊं नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
‘नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे, सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।’
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय। ऊं नमो नारायणाय नम:। ऊं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः। ऊं विष्णवे नमः।
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।

षटतिला एकादशी के दिन तिल का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक को तिल का दान अवश्य करना चाहिए। यदि आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो भी तिल का दान जरूर करें। दान करने के अलावा तिल का सेवन करना भी महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं कि षटतिला एकादशी का व्रत करने से जीवन में सभी सुख-सुविधाओं का आनंद लेने के बाद व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजा करने से पहले उन्हें पंचामृत से स्नान कराया जाता है और इस ​पंचामृत में तिल मिलाना शुभ माना गया है। इस व्रत को रखने से जातक को आरोग्यता प्राप्त होती है। अन्न, तिल आदि दान करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।

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