रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता के साथ मिलने पीले चावल का ऐसे करें उपयोग,नहीं होगी धन की कमी
नोएडा: काफी लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हो गया है. जहां 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और इसके साक्षी बनने के लिए अयोध्या नगरी पहुंच रहे हैं. देशभर में इस दिन को पर्व की तरह मनाने की तैयारी की जा रही है. जिसके लिए हर गांव, गली और घर में खास अंदाज में न्योता भेजा जा रहा है. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामभक्त घर-घर जाकर न्योता दे रहे हैं. इस न्योते में अक्षत यानि चावल का उपयोग किया जा है जो कि बेहद ही पुरानी भारतीय परंपरा है. आइए जानते हैं क्या करें न्योते में मिले अक्षत का?
अक्षत का न्योता है पुरानी परंपरा
भारतीय परंपरा के अनुसार प्राचीन काल में लोग एक-दूसरे को किसी उत्सव या कार्यक्रम का न्योता देने के लिए अक्षत का उपयोग करते थे. अक्षत यानि चावल देकर लोगों को निमंत्रण भेजा जाता था. इसके लिए हल्दी में रंगे हुए पीले चावलों का उपयोग किया जाता था. हिंदू धर्म में अक्षत का विशेष स्थान है और कोई भी पूजा-पाठ, अनुष्ठान या धार्मिक कार्य अक्षत के बिना पूरा नहीं होता.
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता
भगवान राम की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए देशभर से लोग पहुंचने वाले हैं. इसके लिए रामभक्त गली-गली जाकर पीले चावल देकर इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण भेज रहे हैं. इसमें एक लिफाफे में थोड़े से पीले चावल है जिसमें निमंत्रण माना जाता है.
क्या करें निमंत्रण में मिले अक्षत का?
जिन लोगों के घर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण गया है वह यह सोच रहे हैं कि निमंत्रण में मिले अक्षत यानि चावल का क्या करें. तो बता दें कि धार्मिक दृष्टिकोण से अक्षत का विशेष महत्व होता है और इसे पूजा-पाठ व तिलक में मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है. इसलिए निमंत्रण में आए अक्षत को अपने घर की तिजोरी में रख दें तो कभी धन की कमी नहीं होगी और भंडार भरे रहेंगे. वहीं इस अक्षत को मंदिर में भी रख सकते हैं. मंदिर में पूजा-पाठ या तिलक लगाते समय इस अक्षत का उपयोग करें जिसे सीधे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है.