रामपुर। संगीत की दुनिया में रामपुर-सहसवान घराने का एक और सूरज डूब गया। इस घराने के संस्थापक इनायत हुसैन खान के प्रपौत्र पद्मश्री उस्ताद राशिद खान का आज कोलकाता के एक अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने 55 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उनका कोलकाता स्थित अस्पताल में इलाज चल रहा था।
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) रुहेलखंड चैप्टर के सह संयोजक काशिफ खान ने पद्मश्री उस्ताद राशिद खान के निधन पर शोक जताया है।
काशिफ खान ने बताया कि रामपुर-सहसवान घराना हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध घरानों में से एक है। रामपुर सहसवान घराने की इस शैली में स्वर की स्पष्टता पर एक तनाव है और विकास व राग का विस्तार एक चरण दर चरण प्रगति के माध्यम से किया जाता है। इस घराने से संबंधित नौ कलाकारों को अबतक पद्म पुरस्कार मिल चुके हैं।
उन्होंने बताया कि घराने की शुरुआत महबूब खान से हुई और फिर महबूब खान की वरासत को आगे बढ़ाने में उस्ताद इनायत हुसैन खान का अहम योगदान है। महबूब खान और इनायत हुसैन खान के वालिद थे और लखनऊ नवाब के वाजिद अली खान के दरबारी गवैये भी थे।
इनयात हुसैन खान की शिक्षा अपने पिता महबूब खान के पास हुई। जब 1857 का विद्रोह हुआ और लखनऊ के हालात ख़राब हो गए तो महबूब खान ने इनायत हुसैन खान को उन के नाना पास रामपुर ले आये। रामपुर में उस्ताद बहादुर खान से इनायत हुसैन शिक्षा लेने लगे। उस्ताद इनायत हुसैन खान के शागिर्द उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान हुए। इनायत हुसैन खान और उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान रामपुर नवाब के दरबार में गवैये थे। इस निस्बत से इस रामपुर सहसवान घराने का नाम रामपुर सहसवान पड़ा।
काशिफ खान ने बताया कि देश विदेश में यह घराना हिन्दुस्तानी शास्त्री संगीत को ऊँचाइयों पर पहुँचा रहा है। हिंदुस्तान के इलावा विदेशों में भी रामपुर सहसवान घराने के लोग शास्त्री संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने कहा की पद्मश्री उस्ताद राशिद खान का इंतकाल संगीत जगत का बहुत बड़ा नुकसान है।