भारत में क्रेडिट कार्ड के उपयोग में जनवरी 2025 में तेज वृद्धि, UPI की बढ़त जारी

जनवरी 2025 में भारत में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ताओं ने जनवरी में क्रेडिट कार्ड के जरिए कुल 1.84 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जो सालाना आधार पर 10.8 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि डिजिटल लेनदेन को अपनाने और उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी का संकेत देती है।

HDFC और ICICI बैंक की मजबूत पकड़
क्रेडिट कार्ड खर्च के मामले में HDFC बैंक और ICICI बैंक सबसे आगे रहे। HDFC बैंक के ग्राहकों ने 50,664 करोड़ रुपये खर्च किए, जो पिछले साल की तुलना में 15.91 प्रतिशत अधिक है। वहीं, ICICI बैंक का क्रेडिट कार्ड खर्च 20.25 प्रतिशत बढ़कर 35,682 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

हालांकि, देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक SBI का क्रेडिट कार्ड खर्च 6 प्रतिशत घटकर 28,976 करोड़ रुपये रह गया। इसी तरह, एक्सिस बैंक के ग्राहकों द्वारा किया गया खर्च 0.45 प्रतिशत घटकर 20,212 करोड़ रुपये पर आ गया।

प्रति कार्ड खर्च में मामूली बढ़ोतरी
जनवरी में प्रति क्रेडिट कार्ड औसत खर्च 16,910 रुपये रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 1.09 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसका मतलब है कि ग्राहक अधिक लेन-देन कर रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर खर्च की वृद्धि धीमी रही है।

नए क्रेडिट कार्ड जारी करने में HDFC सबसे आगे
जनवरी में नए क्रेडिट कार्ड जारी करने की रेस में HDFC बैंक सबसे आगे रहा। बैंक ने 2,99,761 नए क्रेडिट कार्ड जारी किए। SBI कार्ड्स ने 2,34,537 नए कार्ड जोड़े, जबकि ICICI बैंक ने 1,83,157 नए कार्ड जारी किए। इस बीच, एक्सिस बैंक ने नेट 14,862 कार्ड कम किए, जिससे उसके कुल कार्ड पोर्टफोलियो में गिरावट आई।

क्रेडिट कार्ड की संख्या दोगुनी, डेबिट कार्ड स्थिर
पिछले पांच वर्षों में क्रेडिट कार्ड की संख्या 10.8 करोड़ तक पहुंच गई है, जो दोगुने से भी अधिक है। इसके विपरीत, डेबिट कार्ड की संख्या में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है, जो दर्शाता है कि लोग धीरे-धीरे क्रेडिट कार्ड को एक सुविधाजनक भुगतान विकल्प के रूप में अपना रहे हैं।

डिजिटल भुगतान में UPI की बादशाहत
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, UPI (Unified Payments Interface) डिजिटल भुगतान का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। 2019 में UPI की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत थी, जो 2024 में 83 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसी अवधि में, अन्य भुगतान प्रणालियों जैसे RTGS, NEFT, IMPS, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की हिस्सेदारी घटकर 17 प्रतिशत रह गई।

UPI ट्रांजैक्शन की संख्या 2018 में 375 करोड़ से बढ़कर 2024 में 17,221 करोड़ हो गई, जबकि कुल लेनदेन मूल्य 5.86 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 246.83 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसका मतलब है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन के मामले में UPI का वर्चस्व लगातार मजबूत हो रहा है।

बदलते उपभोक्ता व्यवहार की झलक
जनवरी 2025 में क्रेडिट कार्ड खर्च में उछाल यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं का डिजिटल भुगतान की ओर झुकाव बढ़ रहा है। क्रेडिट कार्ड के उपयोग में वृद्धि जहां एक ओर उपभोक्ता खर्च बढ़ने का संकेत देती है, वहीं UPI की बढ़ती लोकप्रियता यह दिखाती है कि भारतीय डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम किस तेजी से विकसित हो रहा है।

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