जयपुर: जयपुर के डग थाना क्षेत्र के पालड़ा गांव में रविवार को पांच साल के मासूम प्रहलाद खुले बोरवेल में गिर गए थे। बोरवेल की गहराई करीब 300 फीट थी, जिसमें बच्चा 30 फीट की गहराई पर फंसा था। प्रशासन और राहत दलों ने बचाव कार्य में पूरी मेहनत लगाई, लेकिन 15 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद मासूम को नहीं बचाया जा सका। सोमवार तड़के करीब 4 बजे बच्चा मृत पाया गया और उसका शव बाहर निकाला गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में गैस पाइप से ऑक्सीजन और कैमरे से निगरानी
रेस्क्यू के दौरान मासूम को बचाने के लिए गैस पाइप से ऑक्सीजन पहुंचाई गई और कैमरे के जरिए बच्चे की स्थिति पर नजर रखी गई। शुरू में बच्चा गड्ढे में बैठा दिखाई दिया, लेकिन किसी प्रकार की हलचल नहीं दिखी। अंततः सुबह होते-होते बच्चे की मौत की पुष्टि कर दी गई और शव बाहर निकाला गया।
खुले बोरवेलों से पहले भी हो चुकी हैं जानलेवा घटनाएँ
इससे पहले भी दौसा में आर्यन और कोटपूतली के किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में चेतना नामक बच्ची के साथ भी ऐसा ही हादसा हुआ था, जिसमें बच्ची की मौत हो गई थी। चेतना को बाहर निकालने के लिए करीब दस दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया और इस ऑपरेशन पर दो करोड़ रुपये खर्च हुए थे। लेकिन इन हादसों से भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया।
खुले बोरवेल के खिलाफ गाइडलाइंस और जिम्मेदारी का निर्धारण
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जनवरी में पंचायती राज विभाग ने खुले बोरवेल के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं। इसके तहत ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद सीईओ तक की जिम्मेदारी तय की गई थी। साथ ही जिला कलक्टरों को खुले बोरवेल पर जुर्माना लगाने का अधिकार भी दिया गया था, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके।
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