केजरीवाल को हरियाणवी भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने धोबी पछाड़ से दी पटखनी, मनोहर–नायब की जोड़ी का चुनाव पर पूरा असर
ऐलनाबाद, ( एम पी भार्गव ) : हरियाणा से लगती सीटों पर हरियाणा नेताओं की मेहनत का धमाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दमदार छवि, राजनीति के चाणक्य अमित शाह की “माइक्रो मैनेजमेंट” रणनीति ने दिल्ली में भाजपा का वनवास खत्म कर दिया है। 27 साल के बाद दिल्ली में कमल खिला और भाजपा सरकार बन रही है। दिल्ली का सूखा खत्म करना भाजपा के इतना आसान नहीं था, लेकिन मोदी और शाह की रणनीति, कार्यकर्ताओं के जोश और दिग्गज नेताओं के प्रचार ने भाजपा को जीत दिलवा दी है। मोदी और शाह ने कार्यकर्ताओं सहित अपने सभी दिग्गज नेताओं को दिल्ली में उतारकर चुनाव की तस्वीर बदल डाली। हरियाणा के दो नेताओं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ-साथ प्रदेश स्तर के लगभग सभी बड़े नेताओं पर केंद्रीय नेतृत्व ने विश्वास जताया और दिल्ली में हरियाणा से लगती विधानसभाओं की जिम्मेदारी सौंपी। मनोहर लाल और नायब सैनी की जोड़ी ने दिल्ली में कमाल किया और जहां–जहां भी प्रचार किया भाजपा के पक्ष में बंपर जीत दर्ज हुई। यहां तक कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और खुद को कद्दावर मानने वाले मनीष सिसोदिया अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। दिल्ली ने अब केजरीवाल को टाटा, गुड बाय बोल दिया है। दिल्ली में भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी को हरियाणवी धोबी पछाड़ से पटखनी देने में हरियाणा के दो दिग्गज नेताओं के दांव-पेंच बहुत काम आए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व फिलहाल केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के दांव में केजरीवाल ऐसे फंसे कि पार्टी तो छोड़ो खुद की कुर्सी नहीं बचा पाए। केजरीवाल भाजपा के प्रवेश वर्मा से बुरी तरह हारे। मोदी और शाह द्वारा जिम्मेदारी देने पर मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी ने दिल्ली में हरियाणा से लगती करीब दो दर्जन सीटों पर धुंआधार प्रचार किया। दोनों ही नेताओं का जादू दिल्ली वालों के सिर चढ़कर बोला। जहां–जहां मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी ने प्रचार किया था अधिकतर सीट भाजपा के पक्ष में हो गई। केजरीवाल का किला ढहाने में मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी की अहम भूमिका रही। खास बात ये है कि जाट बाहुल्य करीब 10 सीट भी भाजपा के खाते में हैं। यही नहीं दलित वोटर्स को भी खूब साधा और कई सीट पर भाजपा को जीत दिलवाई।
जहां पहुंचे, वहीं छा गए मनोहर–नायब
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दिल्ली में जहां प्रचार के लिए पहुंचे वहीं दिल्ली वालों के दिलों पर छा गए। मनोहर लाल ने शाहदरा, महरौली, आर.के. पुरम, मोती नगर, नई दिल्ली, कृष्णानगर, राजौरी गार्डन, तिलक नगर और रोहिणी सहित करीब एक दर्जन सीट पर प्रचार किया। मनोहर लाल के प्रचार का “सक्सेस रेशो” शत-प्रतिशत रहा और अधिकतर सीट भाजपा जीत गई। इसी तरह नायब सिंह सैनी ने सुल्तानपुर माजरा, मुंडका, जंगपुरा नांगलोई जाट, सीलमपुर, रिठाला, तिमारपुर, बवाना विधानसभा, सदर बाजार, ग्रेटर कैलाश, शकूर बस्ती में प्रचार किया। जिसमें भारतीय जनता पार्टी 90 प्रतिशत से अधिक “सक्सेस रेट” के साथ 10 सीट जीतने में पार्टी सफल रही।
यमुना के पानी में जहर वाले बयान पर ‘नायब‘ वार, घिरे केजरीवाल
दिल्ली चुनाव में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का जोरदार प्रचार देखकर अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा को भी लपेटने की कोशिश की। केजरीवाल ने बयान दिया कि हरियाणा सरकार यमुना नदी के पानी में जहर मिलाती है। इसके तुरंत बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हमलावर हुए और केजरीवाल को न सिर्फ यमुना के पानी के सैंपल की रिपोर्ट दिखाई बल्कि खुद यमुना किनारे जाकर यमुना नदी के जल का “आचमन” भी किया। अरविंद केजरीवाल का यह हथकंडा नायब सिंह सैनी ने चुटकियों में तोड़ दिया। केजरीवाल पर अपना ही बयान उल्टा पड़ा और उनकी हार का अहम हिस्सा भी बना।
नायब सैनी की छवि के दीवाने हुए लोग
दिल्ली चुनाव में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की छवि के लोग दीवाने नजर आए। हरियाणा में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति,मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले हरियाणा के 24 हजार से ज्यादा युवाओं को बिना पर्ची बिना खर्ची सरकारी नौकरी देने सहित कई ऐसे मुद्दे और नीतियां रहीं जिनका असर दिल्ली चुनाव में नजर आया। नायब सिंह सैनी का मुस्कुराते हुए चेहरे से भाषण देना और दिल्ली में जलेबी बांटने वाला बयान देने का अंदाज भी दिल्ली के लोगों को खूब भाया। दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और शराब घोटाले को भी मनोहर लाल और नायब सैनी ने खूब भुनाया। कुल मिलाकर हरियाणा भाजपा के सभी बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं की दिल्ली चुनाव में मेहनत काम आई और कमल खिल गया।
आरएसएस की रणनीति चुनाव में “मैन ऑफ द मैच”
अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को हराना बहुत टेढ़ी खीर थी। अरविंद केजरीवाल और आप के प्रति मायूसी, 11 वर्ष के शासन से ऊब जैसे कई तथ्यों के बावजूद भाजपा और आप के बीच वोट प्रतिशत में सिर्फ 3 प्रतिशत का अंतर ही रहा।केजरीवाल को झटका देने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का बहुत बड़ा हाथ है। आरएसएस ने कई महीने पहले दिल्ली में अपना काम शुरू कर दिया था।