- लेखक- मोहित गुज्जर
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ मेला में स्नान करने से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों — प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।
महाकुंभ: एक विशाल धार्मिक उत्सव
महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी और क्षिप्रा नदियों के पवित्र जल में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। यह आयोजन धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिषीय गणनाओं और ऐतिहासिक परंपराओं पर आधारित है।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और एकता का प्रतीक भी है, जो न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
1954 का महाकुंभ और रेलवे की व्यवस्था
1954 के कुंभ के लिए रेलवे ने शटल ट्रेनें चलाईं और संगम के पास एक अस्थाई रेलवे स्टेशन बनाया गया था। इसके अलावा कुंभ के लिए दो सौ से अधिक टिकट कलेक्टर भर्ती किए गए थे और पैसेंजर गाइड भी नियुक्त किए गए थे ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। ट्रैफिक कंट्रोल के लिए एरिया कंट्रोल ऑफिस भी स्थापित किया गया था।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत को एक हफ्ता हो चुका है, और संगम तट पर कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं में अद्भुत उत्साह और श्रद्धा देखी जा रही है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी है।
महाकुंभ की तैयारियां: एक विशाल आयोजन
महाकुंभ को लेकर यह सवाल उठता है कि इतने बड़े और भव्य मेले की तैयारियां कैसे की जाती हैं? यह आयोजन दुनिया का सबसे बड़ा मेला बन जाता है, जिसमें आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या देश की आबादी के एक तिहाई के बराबर होती है।
आज़ादी से पहले और बाद का महाकुंभ
आजादी से पहले महाकुंभ के आयोजन की स्थिति कैसी थी और स्वतंत्र भारत में सरकारों ने इसे कैसे संपन्न कराया, यह भी एक दिलचस्प सवाल है। उस समय इलाहाबाद उत्तर रेलवे जोन में आता था और कुंभ के लिए विशेष शेड्यूल तैयार किया गया था। प्लेटफॉर्म पर नई व्यवस्थाएं की गईं, और स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं, जिन पर विशेष ‘के’ लोगो का निशान था ताकि वे आसानी से पहचानी जा सकें।
महाकुंभ 2025: बढ़ी श्रद्धालु संख्या
इस बार महाकुंभ नगरी में श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में पहुंचने का अनुमान है, और इसके लिए प्रदेश सरकार ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं।
महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक विशाल संस्कृतिक उत्सव भी बन चुका है, जो हर साल देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को एक साथ लाता है।