समाजसेवी कमलनयन के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘एक और दधीचि – कमलनयन श्रीवास्तव’ का विमोचन

मुजफ्फरपुर – प्रसिद्ध समाजसेवी और साहित्यकार कमलनयन श्रीवास्तव के जीवन और योगदान पर आधारित पुस्तक ‘एक और दधीचि – कमलनयन श्रीवास्तव’ का प्रकाशन अभिधा प्रकाशन द्वारा किया गया। इस कृति को डॉ. आरती कुमारी ने संपादित किया है, जो एक जानी-मानी कवयित्री और शिक्षाविद् हैं। यह पुस्तक 500 रुपये में उपलब्ध है।

‘एक और दधीचि – कमलनयन श्रीवास्तव’ कमलनयन जी के संघर्ष, समर्पण और समाजसेवा के प्रति अद्वितीय योगदान की कहानी है। डॉ. आरती कुमारी ने इसे बड़ी ही श्रद्धा और मेहनत से संपादित किया है। पुस्तक में कमलनयन जी को एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया गया है, जो गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों, भूले हुए साहित्यकारों और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. डॉ. सुधा सिन्हा ने कमलनयन जी के जीवन को इन पंक्तियों में व्यक्त किया है:
“अकेला ही चलता है डगर,
नहीं उसे किसी का डर,
आंधी तूफानों से लड़ता,
जीवन में वह कभी नहीं थकता।”

समाज और साहित्य में अद्वितीय योगदान
बिहार सचिवालय सेवा से सेवानिवृत्त कमलनयन श्रीवास्तव का नाम समाजसेवा, साहित्य, और सांस्कृतिक गतिविधियों में विशेष स्थान रखता है। इस पुस्तक में राजनेताओं, साहित्यकारों, कवियों, पत्रकारों और अन्य गणमान्य हस्तियों ने उनके साथ बिताए क्षणों को साझा किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने उन्हें “वनमैन आर्मी” कहा, तो बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने उनकी सरलता और सहजता की प्रशंसा की। सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने उन्हें सामाजिक उत्थान में एक मजबूत शख्सियत बताया।

वरिष्ठ शायर ज़फ़र सिद्दिकी ने अपने शब्दों में कमलनयन जी के व्यक्तित्व को यूं प्रस्तुत किया:
“जैसे हैं कमलनयन, कहां वैसे आदमी।”

कमलनयन जी की प्रेरक शख्सियत
पुस्तक में कमलनयन जी के पुत्र अभिषेक और पुत्रियां अनामिका व अपराजिता ने उन्हें अपना आदर्श और अभिमान बताया है। उनके प्रयासों से कई सामाजिक और साहित्यिक कार्यक्रम सफल हुए, जिनमें नवशक्ति निकेतन, चेतना, और गरिमा भारती जैसे संगठन शामिल हैं।

जीवन का संदेश
कमलनयन श्रीवास्तव ने समाज के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उनके व्यक्तित्व को मीर तक़ी मीर के शेर से जोड़कर देखा जा सकता है:
“बारे दुनिया में रहो गमजदा या शाद रहो,
ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो।”

यह पुस्तक उनके जीवन, संघर्ष और योगदान का जीवंत दस्तावेज है, जो पाठकों को प्रेरित करेगा।

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