पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर के रहस्यों से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य

ओडिशा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। ‘जगन्नाथ’ का अर्थ होता है ‘जो जगत का स्वामी हो’। यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है और इसके भीतर कई रहस्यों का समावेश है। हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक माने जाने वाले इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्राजी विराजमान हैं।

मंदिर के रहस्य जो आपको चौंका देंगे

  1. मूर्तियों का रहस्य: जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी की बनी हैं। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने करवाया था। इस मंदिर से जुड़ा सबसे बड़ा रहस्य भगवान श्रीकृष्ण के हृदय से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन उनका हृदय आज भी इस मंदिर में सुरक्षित है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण का हृदय आज भी मंदिर में रखी लकड़ी की मूर्तियों में धड़कता है।
  2. मूर्तियों का प्रतिस्थापन: हर 12 साल में मंदिर में रखी तीनों मूर्तियों को बदला जाता है। मूर्तियां बदलने के दौरान पूरे शहर की बिजली कुछ समय के लिए बंद कर दी जाती है और मंदिर परिसर में अंधेरा छा जाता है। इस दौरान केवल एक पुजारी मंदिर में रहता है, जो विशेष दस्ताने पहनकर और आंखों पर पट्टी बांधकर मूर्तियों को बदलता है। ये अंधेरे में किया जाने वाला कार्य सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है।
  3. ब्रह्म पदार्थ का रहस्य: पुजारी मूर्तियों के अंदर मौजूद ब्रह्म पदार्थ को निकालकर नई मूर्तियों में स्थापित करते हैं, लेकिन आज तक किसी ने भी इस ब्रह्म पदार्थ के स्वरूप को नहीं देखा है। मान्यता है कि अगर कोई इस पदार्थ को देख ले, तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। कहा जाता है कि यही ब्रह्म पदार्थ श्रीकृष्ण का हृदय है, और यही इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है।

यह जानकारी लोक मान्यताओं और स्थानीय लोगों से प्राप्त है, और इसका सत्यापन आवश्यक नहीं है।

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