रामपुर: रामपुर के थाना सिविल लाइन क्षेत्र में एक बड़ा विवाद सामने आया है। 60 साल से अपने मकान में रह रहे आदिल के परिवार को जबरन मकान खाली करने के लिए धमकाया जा रहा है। परिवार का आरोप है कि नन्हे आलम नामक व्यक्ति ने सिविल लाइन पुलिस से साठगांठ कर उनके घर पर कब्जा करने का प्रयास किया है, जबकि यह मामला अभी रामपुर की अदालत में विचाराधीन है।
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क्या है मामला?
आदिल और नन्हे आलम के बीच मकान का विवाद रामपुर कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट से अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन नन्हे आलम ने पुलिस की मदद से दबंगई करते हुए मकान खाली कराने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
आदिल परिवार का आरोप:
नन्हे आलम ने सिविल लाइन पुलिस से मिलकर मकान खाली कराने की साजिश रची है।
पुलिस के दरोगा पवन कुमार और कुछ सिपाहियों ने नन्हे आलम के साथ मिलकर घर में जबरन घुसपैठ की।
पुलिस ने गेट तोड़ दिया और घर के अंदर रखे सामान को नुकसान पहुंचाया।
परिवार को डराने-धमकाने के साथ मुकदमे में फंसाने और जेल भेजने की धमकी दी।
नन्हे आलम ने पुलिस के साथ मिलकर जान से मारने की धमकी भी दी।
कानून का उल्लंघन:
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश स्पष्ट हैं कि किसी भी जमीन, मकान, या संपत्ति का मामला यदि अदालत में लंबित है, तो पुलिस को इसमें कोई हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। बावजूद इसके, आदिल के परिवार का आरोप है कि सिविल लाइन थाने के इंस्पेक्टर संजीव कुमार, दरोगा पवन कुमार और अन्य पुलिसकर्मी नन्हे आलम के साथ मिलकर उनके घर पर जबरन कब्जा कराने की कोशिश कर रहे हैं।
आदिल परिवार ने इस घटना को लेकर प्रशासन और अदालत से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सिविल लाइन पुलिस ने कानून को ताक पर रखकर दबंगों का साथ दिया और गरीब परिवार को धमकाया।
मांग:
आदिल के परिवार ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।
दोषी पुलिसकर्मियों और नन्हे आलम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।
उन्होंने कोर्ट से न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाई है।
इस विवाद ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि अदालत का फैसला आने से पहले ही पुलिस इस तरह का हस्तक्षेप करती है, तो यह कानून व्यवस्था के लिए बड़ा सवाल है। प्रशासन को मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।