आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने समलैंगिक जोड़े का साथ रहने का अधिकार बरकरार रखा, माता-पिता को ‘दखलअंदाजी’ न करने का आदेश

अमरावती, 19 दिसंबर : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक समलैंगिक जोड़े को एक साथ रहने का अधिकार बरकरार रखते हुए उनके साथी चुनने की स्वतंत्रता को स्वीकार किया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि लड़की के माता-पिता उनके रिश्ते में दखल न डालें, क्योंकि उनकी बेटी वयस्क है और अपने फैसले लेने का अधिकार रखती है।

हैबियस कॉर्पस याचिका और पेरेंट्स की दखलअंदाजी

जस्टिस आर रघुनंदन राव और के महेश्वर राव की बेंच समलैंगिक जोड़ी की सदस्य काविता (नाम परिवर्तित) द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई कर रही थी। काविता ने आरोप लगाया था कि उसकी पार्टनर ललिता (नाम परिवर्तित) को उसके पिता ने उनकी इच्छा के खिलाफ नरसिपत्नम स्थित अपने घर में बंधक बना लिया था। कोर्ट ने मंगलवार को ललिता के माता-पिता को आदेश दिया कि वे इस रिश्ते में हस्तक्षेप न करें।

ललिता के साथ रहने का निर्णय

काविता और ललिता एक साल से विजयवाड़ा में साथ रह रही हैं। काविता द्वारा पहले ललिता के गायब होने की शिकायत के बाद पुलिस ने ललिता को उसके पिता के घर से बरामद किया और उसे 15 दिन तक कल्याण गृह में रखा। हालांकि, ललिता ने पुलिस से कहा था कि वह वयस्क है और अपने साथी के साथ रहना चाहती है। इसके बाद, ललिता ने अपने माता-पिता के खिलाफ सितंबर में शिकायत भी की थी कि वे उसके रिश्ते और अन्य मुद्दों को लेकर उसे परेशान कर रहे हैं।

पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई

पुलिस हस्तक्षेप के बाद, ललिता विजयवाड़ा वापस आई और काम पर जाने लगी, जबकि वह अक्सर अपनी पार्टनर से मिलती रही। लेकिन एक दिन ललिता के पिता ने फिर से उसे जबरन अपनी गाड़ी में बैठाकर अपने घर ले गए और अवैध रूप से उसकी हिरासत में रख लिया। काविता ने अपनी हैबियस कॉर्पस याचिका में यह आरोप लगाया।

ललिता के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि काविता और उसके परिवार ने उसकी बेटी का अपहरण किया था। काविता के वकील जड़ा श्रीवण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए तर्क किया कि ललिता ने स्पष्ट रूप से काविता के साथ रहने की इच्छा जताई थी और वह कभी भी अपने माता-पिता या परिवार से वापस नहीं लौटना चाहती।

कोर्ट का फैसला और भविष्य की दिशा

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद काविता की याचिका को निस्तारित करते हुए यह भी टिप्पणी की कि ललिता के परिवार के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी, क्योंकि ललिता ने अपनी शिकायत वापस लेने की इच्छा जताई है। विजयवाड़ा पुलिस ने कोर्ट के निर्देश पर ललिता को कोर्ट में पेश किया।

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