सुशीला और जयमती: नक्सलियों से मुक्ति पाकर अब देश की सेवा में

रायपुर: सुशीला और जयमती, दो महिलाएं जो कभी नक्सली काडर का हिस्सा थीं, अब देश की सेवा में सक्रिय हैं। सुशीला उड़ीसा के मलकानगिरी और जयमती छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों के प्रभाव में आकर उनकी गतिविधियों का हिस्सा बनी थीं। दोनों ने 15 साल की उम्र में नक्सलियों के प्रभाव में आकर उनका संगठन जॉइन किया। यह पूरी स्थिति उनके हालात का नतीजा थी, जब नक्सलियों ने उनके परिवारों और गांवों को प्रभावित कर उन्हें अपने संगठन में शामिल होने के लिए मजबूर किया।

सरेंडर और नई शुरुआत
जयमती पर 5 लाख और सुशीला पर 10 लाख का इनाम था। सुशीला ने नक्सली गतिविधियों से तंग आकर कुछ साल पहले आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं, जयमती 2016 तक हिंसक गतिविधियों में लिप्त रहीं और फिर बाद में गिरफ्तार हो गईं। इसके बाद इन दोनों की जिंदगी ने नया मोड़ लिया। आत्मसमर्पण के बाद, उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस के डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में शामिल किया गया, जो नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाता है।

नक्सली कुचक्र से मुक्त होकर मुख्यधारा में शामिल हुईं
सुशीला और जयमती दोनों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि नक्सलियों ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से कैद कर लिया था। गांव से बाहर निकलने तक की स्वतंत्रता नहीं थी, और नक्सल गतिविधियों में शामिल होना उनके लिए मजबूरी बन गया था। लेकिन मुख्यधारा में शामिल होने के बाद, दोनों महिलाएं अब अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ-साथ देश की सेवा में भी योगदान दे रही हैं।

सरकार की पहल और नई उम्मीद
अपर कलेक्टर ऋषिकेश तिवारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए कई सरकारी योजनाएं और विकास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इन कार्यक्रमों के तहत न केवल इन्हें रोजगार मिला है, बल्कि युवाओं को भी नक्सलियों के कुचक्र से बचाने की कोशिश की जा रही है। सुशीला और जयमती अब न केवल अपने नए जीवन से संतुष्ट हैं, बल्कि वे नक्सलियों के खिलाफ सक्रिय रूप से लड़ाई में भाग ले रही हैं। इनकी यह प्रेरणादायक कहानी यह दिखाती है कि सही मार्गदर्शन और समर्थन से जीवन की दिशा बदल सकती है।

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