नई दिल्ली: कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडिया ने राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए उन पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले की वजह बताते हुए कहा कि राज्यसभा में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है और सभापति का आचरण निष्पक्षता से परे है।
खरगे ने साधा निशाना
खरगे ने कहा, “राज्यसभा अध्यक्ष का आचरण सदन की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है। वह सरकार के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं और विपक्षी नेताओं को बोलने से रोकते हैं। उनका व्यवहार स्कूल के हेडमास्टर जैसा है, जो अनुभवी नेताओं को उपदेश देते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सभापति का पक्षपातपूर्ण रवैया सदन में व्यवधान का मुख्य कारण बन गया है। “हमने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए यह कदम उठाया है। हमारे पास उन्हें हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा,” खरगे ने कहा।
सांसदों की प्रतिक्रिया
डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा, “संसद में सत्ताधारी पार्टी लोकतंत्र पर हमला कर रही है और सभापति उनकी सुरक्षा कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दिया जाता। यह देश के संसदीय लोकतंत्र के लिए एक झटका है।”
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, “यह अविश्वास प्रस्ताव किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांत की बहाली के लिए है। अगर सत्ता परिवर्तन होता है, तो हमें लोकतंत्र की मरम्मत और बहाली करनी होगी।”
1952 के बाद पहली बार अविश्वास प्रस्ताव
कांग्रेस ने कहा कि 1952 के बाद यह पहली बार है जब उपराष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव लाया गया है। खरगे ने कहा कि यह कदम लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए लिया गया है, न कि किसी व्यक्तिगत या राजनीतिक दुश्मनी के तहत।
भविष्य की चुनौती
इस घटनाक्रम ने देश के संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब सभी की नजरें इस प्रस्ताव और इसके बाद की कार्यवाही पर टिकी हैं।