झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में 15 नवंबर की रात हुए भीषण अग्निकांड में मरने वाले नवजात बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इनमें से दो बच्चों की मौत बीमारी के कारण हुई, जबकि बाकी आग से हुई घटनाओं का शिकार हुए। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कड़ा रुख अपनाया है।
NHRC का नोटिस, एक हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस घटना को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन मानते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने अस्पताल की लापरवाही को स्पष्ट रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। NHRC ने यह भी कहा कि पीड़ित सरकारी संस्थान की देखरेख में थे, लेकिन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफलता मिली।
अग्निकांड में 10 बच्चों की मौके पर मौत
15 नवंबर को लगी आग में 10 नवजात बच्चों की तुरंत मौत हो गई थी। बाकी 39 बच्चों को समय रहते सुरक्षित बाहर निकालकर दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। उनमें से भी दो गंभीर बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि रेस्क्यू किए गए कई बच्चे पहले से ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे।
अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल
मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड के बाद कई गंभीर खामियां सामने आईं। बताया जा रहा है कि NICU वार्ड में सुरक्षा अलार्म तक नहीं बजा, जिससे घटना का पता समय पर नहीं लग सका। परिजनों ने खुद बच्चों को गोद में उठाकर भागते हुए उनकी जान बचाने की कोशिश की।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने कहा कि मृतकों में कई बच्चे जन्म से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। हालांकि, आग लगने के बाद सुरक्षित निकाले गए बच्चों का इलाज जारी है।
सरकार की कार्रवाई और मुआवजा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए मृतक बच्चों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायल बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। अब तक 10 मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जा चुका है।
सरकार ने मामले की जांच के लिए DGP मेडिकल एजुकेशन की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय समिति गठित की है, जो 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
डिप्टी सीएम ने लिया हालात का जायजा
मुख्यमंत्री के निर्देश पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक शनिवार सुबह झांसी पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान डिप्टी सीएम के आने से पहले सड़कों की सफाई और चूना डालने का वीडियो सामने आया, जिसे लेकर प्रशासन की आलोचना हो रही है।
फायर ब्रिगेड को देर से सूचना
अग्निकांड के दौरान अफरा-तफरी का माहौल था। परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सुरक्षा अलार्म और आग से बचाव के उपाय सक्रिय होते, तो हादसे को टाला जा सकता था। फायर ब्रिगेड को सूचना भी देर से दी गई, जिससे स्थिति और खराब हो गई।
यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती है, बल्कि स्वास्थ्य संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।