भूजल की घटती गुणवत्ता और मात्रा पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को जल संसाधनों के संरक्षण में सामूहिक जिम्मेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
राष्ट्रपति ने मंगलवार को राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा, “भूजल न केवल प्रदूषित हो रहा है, बल्कि घट भी रहा है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि संरक्षण प्रयासों के बिना समाज प्रगति नहीं कर सकता।
मुर्मू ने कहा कि सभी प्रमुख सभ्यताएं जल निकायों के आसपास ही पनपी हैं, और फिर भी आधुनिक समय में पानी की अक्सर उपेक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा, “हम कई बार पानी के महत्व को भूल जाते हैं।”
मुर्मू ने जल प्रबंधन में राज्य सरकारों की भूमिका पर जोर दिया और जल शक्ति मंत्रालय और मंत्री सी आर पाटिल की जल संरक्षण के प्रति समर्पण की प्रशंसा की।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेताओं की उनके प्रयासों के लिए सराहना की और आग्रह किया कि उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिए।
जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन विभाग द्वारा आयोजित इन पुरस्कारों में नौ श्रेणियों में प्रयासों को मान्यता दी गई, जिसमें ओडिशा ने सर्वश्रेष्ठ राज्य का शीर्ष स्थान हासिल किया, उसके बाद उत्तर प्रदेश जबकि गुजरात और पुडुचेरी संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे।
सरकार के ‘जल समृद्ध भारत’ (जल-पर्याप्त भारत) के दृष्टिकोण के अनुरूप जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 2018 में राष्ट्रीय जल पुरस्कार शुरू किए गए।