HAPPY BIRTHDAY Prime Minister Narendra Modi: एक राजनेता, कवि और लेखक की अनोखी यात्रा

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 74 साल के हो गए हैं। गुजरात के वडनगर में एक मध्यम वर्गीय हिंदू परिवार में जन्मे मोदी ने बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के राजनीति में वह ऊंचाई हासिल की है, जो हर नेता की ख्वाहिश होती है। जवाहरलाल नेहरू के बाद, मोदी पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता हैं जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। इस साल 9 जून को उन्होंने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।

संघ से प्रधानमंत्री तक का सफर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का चेहरा बनकर लगातार तीन लोकसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाई। उनकी छवि एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित है, लेकिन उनके दिल में एक कवि और लेखक भी बसता है।

कवि और साहित्य प्रेमी मोदी
प्रधानमंत्री मोदी साहित्य और कविता प्रेमी भी हैं। कई मौकों पर वह न सिर्फ दूसरे कवियों की रचनाएं सुनाते हैं, बल्कि अपनी कविताएं भी प्रस्तुत करते हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से मोदी ने कई बार कविताएं पढ़ी हैं, जो उनके व्यक्तित्व के भावुक और संवेदनशील पक्ष को दर्शाती हैं। उनकी कविताओं का अनुवाद कई भारतीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी में भी हो चुका है। लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में आयोजित ‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में उन्होंने अपनी कविता ‘रमता राम अकेला’ सुनाई थी, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

किताबें लिखने के लिए छोड़ा था खाना
मोदी की लेखनी भी उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा है। उनकी पहली किताब ‘आपातकाल में गुजरात’ लिखते समय उन्होंने 23 दिन तक सिर्फ नींबू पानी पीकर काम किया था। इस किताब में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान उनके संघर्ष का वर्णन है। इसके अलावा, उन्होंने आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर पर भी किताब ‘श्री गुरुजी: एक स्वयंसेवक’ लिखी है, जो कई भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है।

सबसे ज्यादा किताबें लिखने वाले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने अब तक 14 से अधिक किताबें लिखी हैं, जिनमें से कई का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में हुआ है। मोदी ने नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों से अधिक किताबें लिखी हैं। उनकी प्रमुख किताबों में ‘आंख अ धन्य छे’, ‘ज्योतिपुंज’, और ‘साक्षी भाव’ शामिल हैं। उनकी किताबों की पूरी सूची narendramodi.in पर उपलब्ध है।

जननेता से साहित्यकार तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति के साथ-साथ साहित्य में भी अपनी छाप छोड़ी है। उनकी रचनाएं उनके संवेदनशील, बौद्धिक और भावुक व्यक्तित्व को उजागर करती हैं। एक तरफ वह देश का नेतृत्व कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर साहित्य और कविता से उनका जुड़ाव उन्हें एक अनोखा नेता बनाता है।

साभार- इण्डिया टाइम्स

Leave A Reply

Your email address will not be published.