गाजियाबाद के मोरटी गांव में एक आंगनवाड़ी केंद्र ने तकनीक का सहारा लेकर बच्चों की शिक्षा में नई जान डाल दी है। जैसे ही टीचर ने चमकदार क्लास की दीवार पर लगी डिजिटल स्क्रीन को चालू किया, तीन से छह साल के सभी बच्चे उत्साहित हो उठे। स्क्रीन पर एक एनिमेटेड सेब को देख बच्चे गाने लगे, “ए इज़ फॉर एप्पल।” यह कोई पॉश प्राइवेट स्कूल नहीं, बल्कि गाजियाबाद की एक आंगनवाड़ी है, जो बच्चों को पढ़ाई में रुचि बढ़ाने और अधिक बच्चों को बुलाने के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
भारत भर में जहां पैरेंट्स बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं इस आंगनवाड़ी में डिजिटल बोर्ड बच्चों का मुख्य आकर्षण बन गया है। यह गाजियाबाद की आंगनवाड़ियों को एक-एक करके डिजिटल बनाने की एक महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है।
भारत की पहली AI-सक्षम आंगनवाड़ी
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 द्वारा प्रायोजित ‘भारत की पहली एआई-सक्षम आंगनवाड़ी’ के नाम से यह केंद्र चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि, यह पूरी तरह से एआई-आधारित नहीं है, लेकिन मोरटी में पैरेंट्स और बच्चे दोनों ही इस डिजिटल बोर्ड के बारे में अधिक जानने को उत्सुक हैं, जो उनसे बात करता है। इस केंद्र में छात्रों की संख्या सात दिनों में 35 से बढ़कर 42 हो गई है। बाल विकास और परियोजना प्रबंधक शारदा के अनुसार, “पिछले एक हफ्ते में एक भी स्टूडेंट सेंटर पर देर से नहीं आया है। हमें केवल छह-सात दिनों में आठ नए एडमिशन भी मिले हैं।”
पहले जहां हेल्पर बच्चों को सेंटर तक लाने के लिए दरवाजे खटखटाते थे, अब पैरेंट्स खुद अपने बच्चों को समय से पहले लेकर आ रहे हैं। डिजिटल बोर्ड ने पढ़ाई को मज़ेदार बना दिया है। चार-वर्षीय श्रृष्टि, “सी इज़ फॉर कैट” कहकर स्क्रीन पर दिखने वाले चित्र के साथ उछल पड़ती है।
नए क्लासरूम और स्मार्ट बोर्ड
इस आंगनवाड़ी को स्मार्ट बोर्ड का स्वागत करने के लिए एक नया लुक दिया गया है। क्लास की दीवारों पर बच्चों के चित्र, गिनती, और हिंदी और अंग्रेज़ी के अक्षर लिखे गए हैं। बच्चों के लिए राउंड टेबल के चारों ओर छोटी-छोटी कुर्सियां रखी गई हैं। दीवारों पर एक बड़े पेड़ की पेंटिंग और लटकते हुए बंदर बने हुए हैं, जिससे बच्चों को आकर्षित किया जा सके।
इस डिजिटल स्क्रीन के लगने से पहले लगभग खाली रहने वाली आंगनवाड़ी क्लास अब बच्चों से भरी रहती है। एक मां, नीतू देवी, बताती हैं कि उनकी चार साल की बेटी ने कुछ ही दिनों में काफी कुछ सीख लिया है और अब वह जल्दी क्लास जाने की जिद्द करती है।
डिजिटल लर्निंग और भविष्य की योजना
रोटरी फाउंडेशन अगले दो महीनों में गाजियाबाद की 1,300 आंगनवाड़ियों में से 200 को डिजिटल बनाने की योजना बना रहा है। रोटरी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रशांत राज शर्मा के अनुसार, स्मार्ट टूल्स से बच्चों को पढ़ाना और मॉनिटर करना अब आसान हो गया है, जिससे शिक्षा को मानकीकृत और ट्रैक किया जा सकता है। महाराष्ट्र और गुजरात की सरकारों ने भी इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है।
गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट इंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि अब बच्चों की शिक्षा की निगरानी करना बहुत आसान हो गया है। प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि बच्चे अब केवल मिड-डे मील के लिए नहीं, बल्कि सीखने के लिए भी आंगनवाड़ी आ रहे हैं।
दोपहर के समय जब पांच वर्षीय कनक अपनी मां के साथ आंगनवाड़ी से बाहर निकल रही थी, तो उन्होंने स्क्रीन की ओर देख थोड़ी देर और रुकने की कोशिश की, लेकिन मां ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें घर की ओर ले गईं।