पवन कुमार बंसल । एक थे अंबाला में करुणामय गीता नंद जी महाराज- एक है स्वयंभू गीता मनीषी स्वामि ज्ञानानंद जी महाराज। गीता नंद द्वारा बसाई गई गीता नगरी में गीता नंद जी यानी वीर जी के नाम से अपना सत्संग धूल कोट कॉलोनी अंबाला में वर्षों तक करते रहे पर योग्य चेला नहीं मिला। ज्ञानानंद शायद तब वहा उनके आश्रम में ड्राइवर थे । आज भीं वहीं उनकी केसट लगा कर प्रवचन होते है. वो चकाचौंध से दूर वहां से बाहर नहीं गए।
मीडिया से दूर सरल स्वभाव. कहने को ये स्वामि ज्ञानानंद जी भी अपने को उनका चेला बताते है और उनकी फोटो भी रखते हैं । वीर जी गीता प्रेस भी चलाते थे। उर्दू संस्कृत हिन्दी एवं इंग्लिश में सरल शब्दों में गीता छापी गई और मुफ्त वितरित की । वो कई भाषाओं के विद्वान थे। एक ज्ञानानंद है .. सारा दिन नेताओं में घिरे रहते हैं । स्वामि ज्ञानानंद जी की गीता जयंती पर गीता महंगी कीमत पर बेची जाती है। मनोहर लाल और ज्ञानानंद में खूब दोस्ती है और वे एक दूसरे के गुण गाते हैं । ज्ञानानंद के दरबार में संत्री से मुख्यमंत्री तक हाजिरी लगाते हैं। दुमछला … ज्ञानानंद इनका असली नाम नहीं है