अम्बेडकर नगर। जनपद के विकासखंड भियांव के अंतर्गत ग्राम पंचायत शिवपाल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्रता की जांच में अधिकारियों की कार्यप्रणाली हंसी का पात्र बन गई है। योजना के तहत पात्र और अपात्र लाभार्थियों की पहचान करने के लिए की जा रही जांच की प्रक्रिया में विरोधाभास नजर आ रहा है।
इस मामले में जब मीडिया ने विकासखंड भियांव के अधिकारियों से जानकारी लेने की कोशिश की, तो कई अधिकारी फोन पर संपर्क करने पर उपलब्ध नहीं थे। एडीओ पंचायत से जब दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने अलग-अलग उत्तर दिए, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वास्तव में जांच में क्या हो रहा है।
जांच की प्रक्रिया पर सवाल
ग्राम पंचायत शिवपाल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटन में अपात्र लोगों के नाम शामिल होने की शिकायतें थीं। पूर्व वीडियो द्वारा की गई जांच में कई लोगों को अपात्र घोषित किया गया था और रिकवरी नोटिस जारी किया गया था, लेकिन फाइलों में दबकर ये नोटिस कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अब जब वर्तमान वीडियो जांच कर रहे हैं, तो उन्हीं लोगों को पात्र बना दिया गया है, जिन्हें पहले अपात्र घोषित किया गया था।
पीड़ितों की स्थिति
इस स्थिति से पीड़ित लोग भ्रमित हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि किस अधिकारी की जांच को सही माना जाए। अब पीड़ित लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के चलते पीड़ितों का आवेदन तक स्वीकार नहीं किया जा रहा है।
अधिकारियों की चुप्पी
जब विकासखंड भियांव के बीडीओ से फोन पर संपर्क किया गया, तो फोन लगातार व्यस्त मिला और बाद में काट दिया गया। वहीं, वीडियो पंचायत से जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने केवल “शिवपाल” कहकर बात को टाल दिया और कहा कि वह मामले को दिखवाएंगे। सवाल यह उठता है कि अधिकारी जवाब देने से क्यों कतरा रहे हैं?
जांच की निष्पक्षता पर सवाल
इस पूरी प्रक्रिया में जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पूर्व वीडियो द्वारा की गई जांच में अपात्र घोषित लोगों को वर्तमान वीडियो द्वारा पात्र बनाना और रिकवरी नोटिस जारी करने के बावजूद कोई कार्रवाई न होना, अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है।
आखिरकार, जो अधिकारी पहले गलत रिपोर्ट बनाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अगर पहले की जांच सही थी, तो अब पात्रता सूची में बदलाव क्यों हो रहा है? इस मामले में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है और जांच की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।
अधिकारियों की इस कार्यशैली से जनता में असंतोष बढ़ रहा है और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। प्रशासन को इस मामले में पारदर्शिता लाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।