सहारनपुर/देवबंद। ईद-उल-अज़हा के मौक़े पर दिखावे के लिए महँगा जानवर ख़रीदने और उसकी नुमाइश करने के चलन पर उलेमा ने सख़्त नाराज़गी का इज़हार किया है।
जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना क़ारी इसहाक गोरा ने वीडियो के ज़रिये जारी बयान में इस्लामी तालीमात के हवाले से समाज में बढ़ती रियाकारी (दिखावे) की प्रवृत्ति पर गहरी नाराज़गी का इज़हार किया है। क़ारी इसहाक गोरा का कहना है कि मौजूदा दौर में कुछ लोग दिखावे के लिए महँगे जानवर ख़रीदते हैं और इस पर गर्व महसूस करते हैं, जो कि इस्लाम की सिखाई हुई ख़ालिस नियत और अमल की तालीम के खिलाफ़ है। मौलाना इसहाक गोरा ने कहा कि क़ुर्बानी का असली मक़सद अल्लाह की रज़ा हासिल करना और तक़वा (परहेज़गारी) को बढ़ावा देना है। उनका कहना है कि अल्लाह तआला के नज़दीक वही अमल मक़बूल है जो सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी ख़ुशनूदी के लिए किया जाए। इस्लाम में हर अमल का मक़सद अल्लाह की रज़ा और इंसानियत की भलाई है, ना कि लोगों में अपनी धाक जमाना या अपनी दौलत का प्रदर्शन करना।
दिखावे के लिए महँगा जानवर ख़रीदने की बढ़ती प्रवृत्ति ने इस्लामी समाज में एक ग़लत परंपरा को जन्म दिया है, जहाँ लोग अपनी क़ुर्बानी के जानवरों का प्रदर्शन करते हैं, उन्हें सजाते हैं, और सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें डालते हैं। यह उन लोगों के बीच एक तरह की प्रतिस्पर्धा बन गई है, जो इस्लामी शिक्षाओं के बिल्कुल विपरीत है।
उन्होंने कहा, “रियाकारी का जानवर कितना ही क़ीमती क्यों ना हो, अल्लाह की नज़र में उसकी कोई क़ीमत नहीं। ऐसे अमल सिर्फ़ इंसान के दिल की ग़लत फ़हमी को बढ़ावा देते हैं और सच्चे इबादतगुज़ार की राह से भटका सकते हैं।” मौलाना क़ारी इसहाक गोरा ने मुसलमानों से अपील की है कि वे अपनी क़ुर्बानियों को ख़ालिस नियत और अल्लाह की रज़ा के लिए करें। अल्लाह की बारगाह में वही क़ुर्बानी मक़बूल होगी जो दिल की पाकीज़गी और सच्ची इबादत के साथ पेश की गई हो। आख़िर में उन्होंने कहा कि इस्लामी तालीमात की रूह को समझना और उसके मुताबिक़ अमल करना ही हर मुसलमान की असली जिम्मेदारी है।
क़ारी गोरा ने समाज के हर हिस्से में इस मसले पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर भी ज़ोर दिया, ताकि दिखावे की इस बुराई से बचा जा सके।