Pakistan: ‘मनचाहा फैसला दिलाने के लिए मै और मेरे परिवार को कर रहे परेशान’, जज का आईएसआई के अधिकारियों पर आरोप
लाहौर। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा पिछले साल मई में सैन्य प्रतिष्ठानों पर किए गए हमलों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे आतंकवाद निरोधी अदालत के न्यायाधीश ने पाकिस्तान की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई पर मनचाहा फैसला दिलाने के लिए उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को परेशान करने का आरोप लगाया है।
आतंकवाद निरोधी अदालत के न्यायाधीश (सरगोधा) मुहम्मद अब्बास ने लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मलिक शहजाद अहमद खान को एक पत्र लिखकर बताया है कि कैसे खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों ने उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को परेशान किया।
न्यायाधीश संसद में विपक्षी नेता उमर अयूब और इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पिछले साल मई में सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। अयूब ने आरोप लगाया था कि पिछले हफ्ते सरगोधा एटीसी में एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अब्बास को खुफिया एजेंसियों ने बंधक बना लिया था।
मार्च में, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के छह न्यायाधीशों ने न्यायिक मामलों में खुफिया अधिकारियों के कथित हस्तक्षेप की जानकारी देते हुए सर्वोच्च न्यायिक परिषद (एसजेसी) से संपर्क किया। कुल आठ न्यायाधीशों में से छह न्यायाधीशों ने सर्वोच्च न्यायिक परिषद के सदस्यों को पत्र लिखकर न्यायाधीशों पर दबाव बनाने के कथित प्रयासों के बारे में बताया, जिसमें उनके रिश्तेदारों का अपहरण और यातना तथा उनके घरों के अंदर गुप्त निगरानी शामिल है।
आईएचसी के सभी न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से यह भी स्वीकार किया कि खुफिया एजेंसियां उनके न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप कर रही हैं। न्यायाधीशों ने खुफिया अधिकारियों पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और अन्य पीटीआई नेताओं के मामले में मनचाहा फैसला सुनाने के लिए उन पर दबाव डालने का आरोप लगाया। खान पिछले साल अगस्त से विभिन्न मामलों में जेल में हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालयों से प्रस्ताव मांगा है कि खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा कैसे की जाए। एटीसी न्यायाधीश के आरोपों पर लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अहमद खान ने पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर को गुरुवार को तलब किया।
अदालत के एक अधिकारी ने गुरुवार को पीटीआई को बताया, “आज की सुनवाई में आईजीपी अनवर ने एलएचसी को बताया कि पुलिस ने एटीसी जज को दी गई ‘गंभीर धमकियों’ की जांच शुरू कर दी है।” एलएचसी के मुख्य न्यायाधीश ने आईजीपी से पूछा कि लाहौर से करीब 200 किलोमीटर दूर सरगोधा एटीसी की ओर जाने वाली सड़कें पुलिस ने क्यों बंद कर दी थीं, जब जज ने आईएसआई अधिकारी से मिलने से इनकार कर दिया था। आईजीपी ने कहा: “सड़कें बंद कर दी गई थीं, क्योंकि जज को गंभीर धमकियां मिल रही थीं।”
मुख्य न्यायाधीश ने आईएसआई द्वारा एटीसी जज को कथित तौर पर परेशान करने के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। खान की पार्टी ने इस घटना की कड़ी निंदा की थी, जिसमें नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता और पीटीआई के केंद्रीय महासचिव उमर अयूब समेत अन्य सांसदों को अनिर्वाचित और जनादेश चोर सरकार ने एटीसी सरगोधा में प्रवेश करने से रोक दिया था।
पीटीआई के प्रवक्ता ने कहा, “न्यायपालिका को अपनी पसंद के फैसले लेने के लिए मजबूर करने की दुर्भावनापूर्ण और सोची-समझी साजिश के तहत ऐसा किया गया।” उन्होंने कहा कि जनादेश चोर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज का न्यायालयों पर सशस्त्र हमलों का लंबा इतिहास रहा है, ताकि न्यायाधीशों को अनुकूल निर्णय लेने के लिए मजबूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस कदम को न्यायपालिका को डराने और उन्हें न्याय देने से रोकने के लिए एक ज़बरदस्त प्रयास के रूप में देखा गया।
उन्होंने कहा कि एनए विपक्षी नेता और अन्य सांसदों को न्यायालय में प्रवेश करने से रोकने का उद्देश्य न्यायालय को बंदूक की नोक पर निर्णय लेने के लिए मजबूर करना था, जबकि जन प्रतिनिधियों को न्याय देने से वंचित करना था। उन्होंने कहा, “न्यायाधीशों को बंधक बनाने और न्यायालयों पर कब्जा करने की प्रवृत्ति का इस्तेमाल न्यायालयों को न्याय देने से रोकने के लिए नई रणनीति के रूप में किया जा रहा है, क्योंकि न्यायिक मामलों में इस तरह के बेशर्म हस्तक्षेप का वर्णन इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों ने अपने पत्र में पहले ही किया है।”