एक बार जरूर करें मिर्जापुर स्थित गणेश मंदिर के दर्शन, पूरी होगी हर मनोकामना

मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के रामपुर में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। गणेश चतुर्थी का पर्व शुरू हो जाने के बाद दर्शन पूजन के लिए भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं। पहली बार भगवान गणेश की मूर्ति सन 1960 में भयंकर सूखा के बाद सामने आया था। गड्ढे में भगवान गणेश की मूर्ति पानी में डूबा हुआ था जो सूखा पड़ने के बाद चरवाहों ने इस मूर्ति को देखा था। इसका पूजन अर्चन किया जा रहा है। क्षेत्र के लोग भगवान गणेश को कोतवाल मानते हैं।

मिर्जापुर जिले में सन 1960 में भयंकर सूखा पड़ा था। हाल यह हो गया था कि जिले भर में जो भी तालाब और गड्ढे थे, सभी सुख गए। पटेहरा विकास खंड क्षेत्र के रामपुर गांव में स्थित गड्ढा सूखने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति दिखाई दिया। ग्रामीणों के द्वारा जब पास में जाकर मूर्ति के ऊपर से मिट्टी हटाया गया तो भगवान के स्वरूप का दर्शन ग्रामीणों को हुआ। मिट्टी हटाने के बाद ग्रामीणों ने भगवान की पूजा अर्चना शुरू कर दी। आस-पास के लोगों की मदद से भगवान की अस्थायी मंदिर का निर्माण कराया गया।

मंदिर बनने के बाद ग्रामीणों के द्वारा पूजा अर्चना शुरू की गई। भगवान गणेश की भक्ति में प्रयागराज जिले के हाटा के रहने वाले भागीरथी चौधरी हमेशा लीन रहते थे। भागीरथी चौधरी रामपुर गांव में ही अपने ससुराल में रहा करते थे, जहां ससुराल में मानसिक तनाव मिलने के कारण उनका अधिकांश समय भगवान की भक्ति में ही जाता था। मंदिर पर बैठने के कुछ ही दिनों के बाद ही भागीरथी की किस्मत बदल गई।

 

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