International Dance Day 2024: जानें क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस, कैसे हुई इसकी उत्पत्ति???
देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने तैयार किया था नृत्य वेद
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस हर साल 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान् रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फैले। 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया।
नृत्य की उत्पत्ति
कहा जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरतमुनि के सौ पुत्रों ने किया।
नृत्य
नृत्य एक सशक्त अभिव्यक्ति है जो पृथ्वी और आकाश से संवाद करती है। हमारी खुशी हमारे भय और हमारी आकांक्षाओं को व्यक्त करती है। नृत्य अमूर्त है फिर भी जन के मन के संज्ञान और बोध को परिलक्षित करता है। मनोदशाओं को और चरित्र को दर्शाता है। वर्तमान में भारत में कई तरह के नृत्य प्रसिद्ध हैं, जिनमें भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी, कथकली, मोहिनीअट्टम, कथक आदि प्रमुख हैं।
महत्व
नृत्य एक अति प्राचीन कला है। आज की विविध एवं वैश्विक दुनिया में, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस संबंधों को मजबूत बनाने और संवादों का आदान-प्रदान करने का सशक्त एवं उत्कृष्ट माध्यम है। नृत्य केवल आत्म-अभिव्यक्ति का रचनात्मक रूप ही नहीं है, बल्कि इसमें विविधताएं भी हैं।