Death Anniversary: आधुनिक युग के ‘राष्ट्रीय कवि’थे रामधारी सिंह दिनकर, वीर रस और क्रान्ति का अद्भुत मिश्रण थी इनकी लेखनी
रोम रोम में देशभक्ति के भावना भर देती है दिनकर की कविताएं
नई दिल्ली। राष्ट्रकवि के रूप में प्रसिद्ध रामधारी सिंह दिनकर की आज 49वीं पुण्यतिथि है। दिनकर हिंदी कवि होने के साथ साथ निबंधकार, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी भी थे। रामधारी सिंह दिनकर को ‘वीर रास’ का सबसे महान हिंदी कवि माना जाता है।
जीवन परिचय
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय ज़िले के सिमरिया ग्राम में एक कृषक परिवार में हुआ। पिता का नाम रवि सिंह और माता का नाम मनरूप देवी था।
शिक्षा
रामधारी सिंह दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा की थी। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का भी अध्ययन किया था।
व्यक्तिगत जीवन
रामधारी सिंह दिन का विवाह श्यामावती देवी से हुआ था। इनका एक बेटा भी था।
करियर
रामधारी सिंह दिनकर ने बिहार सरकार में सब-रजिस्टार की नौकरी की। अंग्रेज़ सरकार के युद्ध-प्रचार विभाग में रहे और उनके ख़िलाफ़ ही कविताएं लिखते रहे। आज़ादी के बाद मुज़फ़्फ़रपुर कॉलेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष बनकर गए। 1952 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुन लिया गया। इसके बाद वह भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त किए गए और वे भारत सरकार के हिंदी सलाहकार भी रहे।
काव्य जीवन
ओज, विद्रोह, आक्रोश के साथ ही कोमल शृंगारिक भावनाओं के कवि दिनकर की काव्य-यात्रा की शुरुआत हाई स्कूल के दिनों से हुई जब उन्होंने रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा प्रकाशित ‘युवक’ पत्र में ‘अमिताभ’ नाम से अपनी रचनाएं भेजनी शुरू की। 1928 में प्रकाशित ‘बारदोली-विजय’ संदेश उनका पहला काव्य-संग्रह था। उन्होंने मुक्तक-काव्य और प्रबंध-काव्य—दोनों की रचना की। मुक्तक-काव्यों में कुछ गीति-काव्य भी हैं। कविताओं के अलावा उन्होंने निबंध, संस्मरण, आलोचना, डायरी, इतिहास आदि के रूप में विपुल गद्य लेखन भी किया।
निधन
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का निधन 65 वर्ष आयु में 24 अप्रैल 1974 को बेगूसराय में हुआ था।