नोएडा। सरकार ने गन्ने के रस से बने शीरा के एक्सपोर्ट पर 50% शुल्क लगा दिया है। यह इथेनॉल प्रोडक्शन का प्रमुख घटक है। सरकार ने चालू सीजन में चीनी उत्पादन में गिरावट के बीच यह कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, यह शुल्क 18 जनवरी से प्रभावी होगा।
इस कदम का मकसद घरेलू भट्टियों के लिए शीरा की उपलब्धता को बढ़ावा देना और सरकार के इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने में मदद करना है।
सरकार का लक्ष्य चालू वर्ष में पेट्रोल के साथ 15 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना है, जिसके लिए 690 लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
इथेनॉल के बिना सरकार ने चालू 2023-24 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन घटकर 3.23-3.3 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले सीजन में 3.73 करोड़ टन था.
भारत वियतनाम, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड और फिलीपींस सहित देशों को शीरा एक्सपोर्ट करता है. तीन राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात शीरा का एक्सपोर्ट करते हैं।
गन्ने के रस से तैयार किया जाता है शीरा
चीनी बनाने की प्रॉसेस के दौरान शीरा एक गाढ़ी, गहरे रंग की चाशनी होती है। सबसे पहले गन्ने को मसलकर उसका रस निकाल लिया जाता है। फिर रस को चीनी के क्रिस्टल बनाने के लिए उबाला जाता है और तरल से निकाल दिया जाता है। रस से चीनी निकालने के बाद जो गाढ़ी, भूरी चाशनी बचती है वही शीरा है।
शीरा इतना महंगा क्यों होता है?
सबसे बड़ी चुनौती शुगर प्रोडक्शन में उतार-चढ़ाव है, क्योंकि शीरा शुगर प्रॉसेसिंग का एक सब-कंटेंट है। शुगर प्रोडक्शन में उतार-चढ़ाव सीधे शीरा की उपलब्धता और प्राइसिंग को प्रभावित कर सकता है।