बदायूं: प्रधानमंत्री के 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से हर माह की 15 तारीख को नि:क्षय दिवस मनाया जाता है। इस बार 15 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस विशेष दिन पर टीबी के साथ-साथ फाइलेरिया, कुष्ठ और कालाजार के संभावित मरीजों की भी पहचान की जाएगी। आशा कार्यकर्ता इन लक्षणयुक्त मरीजों को उप केंद्र तक पहुंचाएंगी, ताकि उनका त्वरित उपचार शुरू किया जा सके।
ज़िला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विनेश कुमार ने जानकारी दी कि इस बार के एकीकृत नि:क्षय दिवस में टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान, गुणवत्तापूर्ण इलाज और योजनाओं का लाभ दिलाने पर जोर दिया जाएगा। अब इस कार्यक्रम में फाइलेरिया, कुष्ठ और कालाजार को भी शामिल किया गया है।
इसके पहले, आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी के लक्षणों और नि:क्षय दिवस के बारे में समुदाय को जागरूक करेंगी। सीएचओ (समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) मरीजों की एचआईवी, डायबिटीज और अन्य जांच करेंगे, साथ ही बलगम के नमूने भी लिए जाएंगे और निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत कर जांच केंद्र भेजे जाएंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रत्येक सीएचसी/पीएचसी पर एसीएमओ/डिप्टी सीएमओ की ड्यूटी लगाई गई है, जो शाम को फीडबैक देंगे और रिपोर्ट शासन को ई-कवच पोर्टल के माध्यम से भेजी जाएगी।
टीबी रोग के लक्षण:
2 सप्ताह या अधिक समय से खांसी होना
2 सप्ताह या अधिक समय से बुखार आना
वजन में कमी और भूख न लगना
बलगम में खून आना
कुष्ठ रोग के लक्षण:
शरीर पर सुन्न दाग
हाथ, पैर, आंखों में कमजोरी या विकृति
दर्दरहित घाव
चेहरे या शरीर पर गांठें, छाले
फाइलेरिया के लक्षण:
पुरुषों के अंडकोष और महिलाओं के स्तन के आकार में परिवर्तन
सर्दी के साथ तेज बुखार
हाथ-पैर में सूजन और दर्द
इन रोगों की शीघ्र पहचान और उपचार सुनिश्चित करने के लिए नि:क्षय दिवस एक महत्वपूर्ण कदम है।